उड़ रहे हैं काले कौऐ आकाश दर आकाश
कबूतर कबूतर चिल्लाओ
कबूतर कबूतर चिल्लाओ
कौन बोल रहा है सच
रोको उसे ढूँढ कर एक गाँधी कहीं जा कर के कूट आओ
रोको उसे ढूँढ कर एक गाँधी कहीं जा कर के कूट आओ
इस से पूछो उस से पूछो
कहीं से भी पूछ कर कुछ उसके बारे में पता लगाओ
कहीं से भी पूछ कर कुछ उसके बारे में पता लगाओ
कैसे आगे हो सकता है कोई उसका अपना उससे
कहीं तो जा कर के कुछ आग लगाओ
कहीं तो जा कर के कुछ आग लगाओ
कुछ मर गये कुछ आगे मरेंगे
अपने ही लोग हैं सबकी फोटो सब जगह जा लगाओ
अपने ही लोग हैं सबकी फोटो सब जगह जा लगाओ
कुछ रो लो कुछ धो लो कुछ पैट्रोल ले लो हाथ में और जोर से आग आग गाओ
उल्लू लिख रहा है एक अखबार हद है
कुछ तो शरम करो और कुछ तो शरमाओ
कुछ तो शरम करो और कुछ तो शरमाओ
रोको उसे कुछ ना कुछ करके
इस से पहले सब लिख ले बेशरम कुछ कपड़े दिखाओ
इस से पहले सब लिख ले बेशरम कुछ कपड़े दिखाओ
उसका लिखा है किसने समझना है तुम भी जानते हो
बेकार का दिमाग मत लगाओ
बेकार का दिमाग मत लगाओ
पढ़ने कोई नहीं आता है
बस देखने आता है कौन कौन पढ़ गया आके
समझ जाओ
बस देखने आता है कौन कौन पढ़ गया आके
समझ जाओ
सकारात्मक होना बहुत अच्छी बात है कौन रोकता है
तुम अपनी कुछ सुनाओ
तुम अपनी कुछ सुनाओ
बहुत ही नकारात्मक है वही लिख फिर रहा है रोक लो
कह दो इतनी भीड़ ना बनाओ
कह दो इतनी भीड़ ना बनाओ
कुत्ता सोच लो दिमाग में कौन रोकता है
पट्टा और जँजीर की सोच भी जरूरी है
भागने ना दो किसी की सोच को लगाम कुछ अपनी लगाओ
पट्टा और जँजीर की सोच भी जरूरी है
भागने ना दो किसी की सोच को लगाम कुछ अपनी लगाओ
अपनी अपनी सोचना बहुत ही जरूरी है
इस से पहले मौत आगोश में ले जाये कोरोना के बहाने
कुछ नोच लो कुछ खसोट लो यूँ ही कहीं से कुछ भी
रो लेना गिरीसलीन लगा के आँखों के नीचे जार जार
अखबार हैं ना
कहना नहीं पड़ेगा किसी से भी फोटो खींच कर के ले जाओ
‘उलूक’ सब परेशान हैं
तेरी इस बकवास करने की आदत से
कहते भी हैं हमेशा तुझसे कहीं और जा कर के दिमाग को लगाओ
तुझे भी पता है औकात अपनी
कितनी है गहरी नदी तेरी सोच की
मरना नहीं होता है जिसमें शब्द को
तैरना नहीं भी आये
गोता लगाने के पहले चिल्लाता है
आओ डूब जाओ।
चित्र साभार: https://pngio.com/images/png-b2702327.html
लाजवाब🌻
जवाब देंहटाएंजलजीरा, चाय, दूध, छाछ, लस्सी आदि पियो, 'उलूक टाइम्स' वाली लिखाई मत पियो, उसको तो हम पीते हैं.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंतुझे भी पता है औकात अपनी
कितनी है गहरी नदी तेरी सोच की
मरना नहीं होता है जिसमें शब्द को
तैरना नहीं भी आये
गोता लगाने के पहले चिल्लाता है
आओ डूब जाओ।.. बहुत खूब..सटीक अभिव्यक्ति ।
आज के हर तरह के हालात को आक्रोशित शब्दों में ढाल दिया है .....
जवाब देंहटाएंयही सब चल रहा हर जगह .... पढ़ पढ़ कर ....देख देख कर ऐसे ही मन विचलित होता है ..
बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंअपनी अपनी सोचना बहुत ही जरूरी है
जवाब देंहटाएंइस से पहले मौत आगोश में ले जाये कोरोना के बहाने
कुछ नोच लो कुछ खसोट लो यूँ ही कहीं से कुछ भी
रो लेना गिरीसलीन लगा के आँखों के नीचे जार जार
सही कहा यही तो हो रहा है आजकल...
समसामयिक हालातों पर धारदार व्यंग
वाह!!!
अपनी अपनी सोचना बहुत ही जरूरी है
जवाब देंहटाएंइस से पहले मौत आगोश में ले जाये कोरोना के बहाने
कुछ नोच लो कुछ खसोट लो यूँ ही कहीं से कुछ भी
सादर नमन...
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (31-05-2021 ) को 'नेता अपने सम्मान के लिए लड़ते हैं' (चर्चा अंक 4082) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
तुझे भी पता है औकात अपनी
जवाब देंहटाएंकितनी है गहरी नदी तेरी सोच की
मरना नहीं होता है जिसमें शब्द को
तैरना नहीं भी आये
गोता लगाने के पहले चिल्लाता है
आओ डूब जाओ।
बहुत ही उम्दा
सकारात्मक होना बहुत अच्छी बात है कौन रोकता है
जवाब देंहटाएंतुम अपनी कुछ सुनाओ
बहुत ही नकारात्मक है वही लिख फिर रहा है रोक लो
कह दो इतनी भीड़ ना बनाओ---बहुत खूब पंक्तियां...। अच्छी और गहन रचना।
वाह! गोपेश सर ने थोड़ी हमे भी पिला दी।😀
जवाब देंहटाएंखरी-खरी
जवाब देंहटाएंजबरदस्त व्यंग्य ,तंज ।कितना समेट लिया एक रचना में सभी को लपेटा है, उलूक भी लपेट लिया गया अपने ही वाक जाल में।
जवाब देंहटाएंवाह!!
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंकितना कुछ समेट लिया आपने।
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ कुछ समझ नहीं आता बस वाह!गज़ब कहा ।
सादर
उलूक’ सब परेशान हैं
जवाब देंहटाएंतेरी इस बकवास करने की आदत से
कहते भी हैं हमेशा तुझसे कहीं और जा कर के दिमाग को लगाओ बहुत सुंदर व्यंग्य साधुवाद,,..
करारा
जवाब देंहटाएंक्या बात है ...
जवाब देंहटाएंसबकी ओकात दिखा दी आज ... बहुत खूब लिखा है ...
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंMera post bhi padhe Rich Dad Poor Dad In Hindi Pdf
जवाब देंहटाएंBahothi achaa bhai
जवाब देंहटाएंलाजवाब सृजन सर !
जवाब देंहटाएंबेमिसाल सृजन
जवाब देंहटाएंखरी-खरी बोलती लेखनी को नमन
waah sir waah
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