एक ने
दो के कान मे
फुसफुसाया
लिखे लिखाये को
गौर से देख
लिखे लिखाये से
लिखने वाले के बारे में
सब कुछ पता हो जाता है
दो ने
किसी एक
लिखने लिखाने वाले को
खटखटाया
जी मैंने कुछ लिखा है
कुछ आप ने मेरे बारे में
मुझे अब तक क्यों नहीं है बताया
अजब गजब संसार है
चिट्टों और चिट्ठाकारों का
लिखना लिखाना
चिट्ठे टिप्पणी
चर्चा
लिंक लेना लिंक देना
पसंद अपनी अपनी
अपने हिसाब से
करीने से लिखने लिखाने को
प्रमाण पत्र दे कर आभारी कर करा लेना
अब दो को
कौन समझाये
कौन समझाये
कि
लिखने वाला
लिखने वाला
कभी अपनी कहानी
किसी को नहीं बताता है
कहीं से
एक आधा या पूरा घड़ा लाकर
यहाँ फोड़ जाता है
सबसे बड़ा बेवकूफ
वो है
वो है
जिसे लिखे लिखाये पर
लेखक का चेहरा नजर आता है
सच कह रहा हूँ
कब से लिख रहा हूँ
इधर का उधर का लाकर
यहाँ फैलाता हूँ
एक भी पन्ना देख कर
आप नहीं कह पायेँगे
‘उलूक’ के लिखे लिखाये से
वो चार सौ बीस
जानता है अपने बारे में
कि वो है
कोई दिखा दे उसके
किसी
लिखे पन्ने पर
लिखे पन्ने पर
उसका
चार सौ बीस लिखा
हस्ताक्षर नजर अगर उसे आता है
वाह👌🌻🌼
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 08-07-2021को चर्चा – 4,119 में दिया गया है।
जवाब देंहटाएंआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
सबसे बड़ा बेवकूफ
जवाब देंहटाएंवो है
जिसे लिखे लिखाये पर
लेखक का चेहरा नजर आता है
वाह! करारा व्यंग्य!
अब दो को
जवाब देंहटाएंकौन समझाये
कि
लिखने वाला
कभी अपनी कहानी
किसी को नहीं बताता है
कहीं से
एक आधा या पूरा घड़ा लाकर
यहाँ फोड़ जाता है
बहुत खूब सुशील जी। अपनी कहानी कहने के लिए वीबडा जिगरा चाहिए। सदैव की तरह अनौखा उलूक दर्शन 👌👌🙏🙏
बहुत सुंदर और सार्थक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसच कह रहा हूँ
जवाब देंहटाएंकब से लिख रहा हूँ
इधर का उधर का लाकर
यहाँ फैलाता हूँ
नारद कहलाता हूँ..
सादर नमन..
वाह!बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंजबदस्त व्यंग्य । अब बेचारे चर्चाकार क्या करें ? सोच में डाल दिया आपने ।
जवाब देंहटाएंसच किसी की 100 प्रतिशत मौलिक रचना भी कोई होती होगी.? सदियों से लोग अपने विचार काव्य कथाएं और न जाने क्या क्या लिखते आरहे और हम पढ़ते आ रहे हैं सब पर किसी न किसी पुरानी रचना का इंफ्लुएंस तो रहता ही है कहीं न कही। और उस इंफ्लुएंस मे न जाने कितने लोगों ने कितने किरदार मारे कितनी पटकथाएं मोड़ी होंगी कितने नए सूत्रधार उतारे होंगे। और हैम इन सबके बल पर शायद खुद को लेखक कहलवाना चाहते हैं। सटीक व्यंग्य।👏🏼👏🏼👏🏼
जवाब देंहटाएंदेरी से सूचना के लिए क्षमाप्राथी हूँ।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 08 जुलाई 2021 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
"इधर का उधर का लाकर
जवाब देंहटाएंयहाँ फैलाता हूँ" - आपकी इन पंक्तियों को देख कर, बेचारा शब्दकोश किसी कोने में दुबका आठ आठ आँसू बहा रहा होगा .. सोच रहा होगा कि उलूक साहिब तो "इधर का उधर का" कह के मेरी तौहीन कर 'दिहिन' हैं। सब 'चोट्टे' .. ओह .. सॉरी ... चिट्ठेकार तो सारे शब्द हम से उधार लेते हैं या चोरी करते हैं; फिर "इधर का उधर का" वाली बात कहाँ से आयी भाई ?
सच में .. पद ग्रहण करने के समय ली गई शपथ की शपथ .. शब्दकोश 'बहुते गोस्साया' हुआ है आप पर। कह रहे हैं शब्दकोश साहब कि जब हमसे शब्द सब चुराता ही है तो 'एन्ने ओन्ने' (इधर -उधर) 'काहे' (क्यों) जाता है भला !
अब एक बार उनको भी समझा दीजिए जरा साहिब ...😢😢😢
आपके व्यंग सिर्फ व्यंग्य नहीं होते उसमें व्यवस्था पर आक्रोश गाहे बगाहे दिखता है पर आज तो आक्रोश पराकाष्ठा पर है।
जवाब देंहटाएंलेखन के सत्य पर प्रकाश डालता सटीक चिंतन।
जवाब देंहटाएंसबसे बड़ा बेवकूफ
वो है
जिसे लिखे लिखाये पर
लेखक का चेहरा नजर आता है
सच कह रहा हूँ
कब से लिख रहा हूँ
इधर का उधर का लाकर
यहाँ फैलाता हूँ...वाह!गज़ब लिखा आदरणीय सर।
सादर प्रणाम
उलूक 420 कभी नहीं हो सकता क्योंकि वह तो 840 है.
जवाब देंहटाएंवह किसी की नक़ल नहीं करता. उसे ख़ुद पता नहीं होता कि वह अगली पंक्ति में क्या लिखने वाला है.
उसकी हर बॉल गुगली होती है !
सार्थक वयंग और कटाक्ष, बहुत दूर तक संदेश दे गयी आपकी उत्कृष्ट रचना।
जवाब देंहटाएंकोई दिखा दे उसके
जवाब देंहटाएंकिसी
लिखे पन्ने पर
उसका
चार सौ बीस लिखा
हस्ताक्षर नजर अगर उसे आता है
बहुत खूब…!
बहुत सुंदर, व्यंग्य का मारा लेखक बेचारा
जवाब देंहटाएंबड़े धोखे हैं इस राह में ...
जवाब देंहटाएंखुद की शिकायत ...
जवाब देंहटाएंपर किस्से ... क्या खुद से ... अच्छा व्ब्यंग है ....
सटीक कटाक्ष
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूब
गज़ब तीर उलूक के , शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंक्या बात है...
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