रुकें थोड़ी देर
भागती जिंदगी के पर थाम कर
थोड़ी सी सुबह थोड़ी शाम लिख दें
कोशिश करें
कुछ दोपहरी कुछ अंधेरे में सिमटते
रात के पहर के पैगाम लिख दें
फिर से शुरु करें
सीखना बाराहखड़ी
ठहर कर थोड़ा कुछ किताबों के नाम लिख दें
रोकें नहीं
सैलाब आने दें
इससे पहले मिटें धूल में लिखे सारे सुर्ख नाम
चलो खुद को खुलेआम बदनाम लिख दें
छान कर
लिख लिया कुछ कुछ कभी कुछ कभी
कभी बेधड़क होकर अपने सारे किये कत्लेआम लिख दें
किसलिये झाँके
सुन्दर लिखे के पीछे से एक वीभत्स चेहरा
आईने लिखना छोड़ दें
पर्दे गिरा सारा सभीकुछ सरेआम लिख दें
उनको
लिखने दें ‘उलूक’
सलीके से अपने सलीके
खुल कर बदतमीजियां अपनी
बैखोफ होकर अपने हमाम लिख दें ।
चित्र साभार: https://www.clipartmax.com/
जवाब देंहटाएंबेहिस क़लम में भरूँ स्याही बेखौफ़
तोड़कर बंदिश लबों के,गीत गाऊँ
मलूँ मैं रोशनी के अर्क धुंध की चादरों पे
मैं हर लूँ तम ज़रा भी ,जीत जाऊँ।
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बेहतरीन अभिव्यक्ति
प्रणाम सर
सादर।
वाह!गज़ब लिखा सर।
हटाएंआपका दृष्टि कोण भी सराहनीय है।
सादर
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार (23-07-2021) को "इंद्र-धनुष जो स्वर्ग-सेतु-सा वृक्षों के शिखरों पर है" (चर्चा अंक- 4134) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद सहित।
"मीना भारद्वाज"
उनको
जवाब देंहटाएंलिखने दें ‘उलूक’
सलीके से अपने सलीके
खुल कर बदतमीजियां अपनी
बैखोफ होकर अपने हमाम लिख दें ।
सादर नमन..
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंसब यूँ हमाम की बात कैसे लिख दें ? शरीफ बने रहने के लिए दिखावा ज़रूरी है ।
जवाब देंहटाएंधारदार मार
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २३ जुलाई २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंछान कर
लिख लिया कुछ कुछ कभी कुछ कभी
कभी बेधड़क होकर अपने सारे किये कत्लेआम लिख दें
किसलिये झाँके
सुन्दर लिखे के पीछे से एक वीभत्स चेहरा
आईने लिखना छोड़ दें
पर्दे गिरा सारा सभीकुछ सरेआम लिख दें
.. इतना सबकुछ लिखने के लिए कलेजा होना चाहिए, जो बहुत कम है लोगोंके पास । शानदार कटाक्ष।
बहुत खूब। बहुत बढ़िया सर जी।
जवाब देंहटाएंस्तुत्य बेखौफ़ लेखनी
जवाब देंहटाएंउम्दा लेखन
रोकें नहीं
जवाब देंहटाएंसैलाब आने दें
इससे पहले मिटें धूल में लिखे सारे सुर्ख नाम
चलो खुद को खुलेआम बदनाम लिख दें
छान कर
लिख लिया कुछ कुछ कभी कुछ कभी
कभी बेधड़क होकर अपने सारे किये कत्लेआम लिख दें
बहुत सुन्दर.... ऐसे ही बेधड़क होकर लिखा करें....
बेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएं"ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ अपने आसपास पड़े हुऎ कुछ टाट पै पैबंद लिखता हूँ ना कवि हूँ ना लेखक हूँ ना ..." -कहने वाले "उलूक टाइम्स" के proprietor, माननीय Mr उलूक "जी", :) :) आज अपनी ही बातों से मुकरते, "तुकों-तर्कों" से लबरेज़, जाने-अंजाने एक तुकबन्दी से सजी कविता रच गए हैं .. शायद ...
जवाब देंहटाएंपाठकगण जरा जोर से दुहराइये " जो उलूक है, वही मलूक है " ...😀😀😀 .. बस यूँ ही ...
"उनको
लिखने दें ‘उलूक’
सलीके से अपने सलीके
खुल कर बदतमीजियां अपनी
बैखोफ होकर अपने हमाम लिख दें ।" 🙏🙏🙏
आज की रचना कुछ अलग है, पर बात वही है
जवाब देंहटाएंकिसलिये झाँके
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिखे के पीछे से एक वीभत्स चेहरा
आईने लिखना छोड़ दें
पर्दे गिरा सारा सभीकुछ सरेआम लिख दें
कुछ अलग सा....सार्थक सृजन,सादर नमन सर
हमेशा की तरह सत्य को उजागर करती रचना, चुभन के साथ बहुत सोचने पर मजबूर करती है - - साधुवाद सह।
जवाब देंहटाएंभले ही सैलाब आ कर सब मिटा जाए फिर भी अपने कर्मों की सवीकारोक्ति बिरले के वश की बात है !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सराहनीय सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसारगर्भित , आज कुछ अल्हदा सा मिजाज है लेखनी का
जवाब देंहटाएंपर तेवर वहीं सीधे कटाक्ष करते ।
अभिनव अभिव्यक्ति।
सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंछान कर
जवाब देंहटाएंलिख लिया कुछ कुछ कभी कुछ कभी
कभी बेधड़क होकर अपने सारे किये कत्लेआम लिख दें
वाह!!!
उनको
लिखने दें ‘उलूक’
सलीके से अपने सलीके
खुल कर बदतमीजियां अपनी
बैखोफ होकर अपने हमाम लिख दें ।
हिम्मत चाहिए ऐसा लिखने के लिए और एक आइना भी सच बोलता हुआ ...जो दिखा सके मेकअप के अन्दर का असली चेहरा अपना ही....
लाजवाब सृजन।
जवाब देंहटाएंइससे पहले मिटें धूल में लिखे सारे सुर्ख नाम
चलो खुद को खुलेआम बदनाम लिख दें
बहुत खूब!
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंकिसलिये झाँके
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिखे के पीछे से एक वीभत्स चेहरा
आईने लिखना छोड़ दें
पर्दे गिरा सारा सभीकुछ सरेआम लिख दें
बहुत ही उम्दा रचना!
ये कलम भी कमाल करती है,
कोरे कागज पर शब्द रूपी बाड़ों से प्रहार करती है!