कुछ भी
खौलने तक
खौलने तक
नहीं पहुँच पाता है
गरम होना
बहुत बड़ी बात है
बहुत बड़ी बात है
ठंडे रहने के फायदे में जब
इंसान होने से बचने के रास्ते
उँगलियों में कोई गिनाता है
गिनतियाँ सिखायी जाती हैं अब भी
भीड़ गिनना गुनाह है साथ में बताया जाता है
कई सदियों में
कोई
ऐसा भी निकल कर आता है
ऐसा भी निकल कर आता है
आँखें बन्द कर आँखों देखी कविताएं बोने वालों के लिये
मुँह छुपाने का आईना हो जाता है
आश्चर्य होता है
ऐसी
अदभुद कविता
जिसमें गणित विज्ञान से लेकर
तकनीक तक का असर
शब्द दर शब्द
बुना हुआ नजर आता है
बुना हुआ नजर आता है
भीड़ के बीच में भीड़ हो चुकी आत्मा से लेकर
परमात्मा होने के अहसास से
फिर कहाँ बचा जाता है
शब्द नहीं हैं पास में “नवीन चौरे” की कविता के लिये
शायद
इस सदी की सबसे उबलती
खौलती कविता से सामना हो चुका है
नासमझ होने के बावजूद
कुछ समझ में आ गया का अहसास हो जाता है
एक बकवास से
बन्द किया गया
पिछले साल के अंतिम दिन का बहीखाता
नये साल के पहले महीने की अंतिम तारीख को
एक कटी उँगली और उस पर लगे खून के
बहाने ही सही
बहाने ही सही
कुछ हिलौरे मार जाता है
‘उलूक’
स्वीकार करता है
उसके खुद के
उसी भीड़ का एक हिस्सा होने का
उसी भीड़ का एक हिस्सा होने का
आँखों को बन्द कर
आँखों देखे हाल सुनाती
अंधी कविताओं के समुंदर के बीच में
सदियों में
एक तूफान उबलते अशआरों का
जब इस तरह का कोई
दिल खोल के सामने से ले आता है
सलाम "नवीन चौरे" जुबाँ से निकल ही जाता है।
साभार: यू ट्यूब
वाह बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ स्तब्ध हूँ,निःशब्द हूँ।
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (1-2-22) को "फूल बने उपहार" (चर्चा अंक 4328)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
nice web series
जवाब देंहटाएंसटीक, बेबाक
जवाब देंहटाएंवाह!वाह!क्या खूब कहा।
जवाब देंहटाएंसादर
वाह!एकदम सटीक कहा आपने आदरणीय सर
जवाब देंहटाएंचोरे जी को सुनते हुए साँसे रुक सी गई..काठ मार गया। बची कसर उनके लिए कहे शब्दों ने पूरी कर दी।
जवाब देंहटाएंनवीन चौरे का एक एक शब्द और प्रस्तुति झकझोर देने के साथ ही आज के लोगों को सोचने को मजबूर करने में पूर्णतः सक्षम है।
जवाब देंहटाएंऐसी ही कुछ विभूतियां हमें कभी निराश नहीं होने देतीं।
जवाब देंहटाएं‘उलूक’ स्वीकार करता है
जवाब देंहटाएंउसके खुद के उसी भीड़ का एक हिस्सा होने का
सलाम "नवीन चौरे"
जुबाँ से निकल ही जाता है।
–सलाम आपकी लेखनी को
बहुत खूब ..
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिक्रिया भी कमाल है ... उबलती हुई रचना सामान ...
आँखों को बन्द कर आँखों देखे हाल सुनाती
जवाब देंहटाएंअंधी कविताओं के समुंदर के बीच में
सदियों में एक तूफान उबलते अशआरों का
जब इस तरह का कोई
दिल खोल के सामने से ले आता है
सलाम "नवीन चौरे"
जुबाँ से निकल ही जाता है।
उबलते अशआर खौलती कविताएं!!!
वाह!!
क्या बात...
लाजवाब।
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार ४ फरवरी २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
शानदार सृजन
जवाब देंहटाएंभीड़ के बीच में भीड़ हो चुकी
जवाब देंहटाएंआत्मा से लेकर परमात्मा होने के अहसास से
फिर कहाँ बचा जाता है... बहुत कुछ कहती हहुई, शानदार रचना ।
गज़ब की कविता और उस पर आपकी प्रतिक्रिया दोनो ने ही रोंगटे खड़े कर दिए ।
जवाब देंहटाएंलाजवाब 👌👌👌👌
जब किसी कविता की प्रतिक्रिया ऐसे व्यक्त हो कि अपने आप में एक रचना बन जाए.....
जवाब देंहटाएंभीड़ का हिस्सा होने को स्वीकार कर जाना बदलाव की नींव है।
जवाब देंहटाएंनवीन जी को बहुत बार सुना है। आपकी प्रतिक्रिया भी लाजवाब है। आपका नजरिया भी नायाब है।
दोनों को सलाम।
समय साक्षी रहना तुम by रेणु बाला
गज़ब की कविता
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जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक,रचना,।
जवाब देंहटाएंकड़वा सत्य मगर बार-बार सुनाया जाना चाहिए
जवाब देंहटाएंसटीक और सच बात कह दी
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
वाह! गज़ब नवीन चौरे भी और आपकी सटीक बात भी।
जवाब देंहटाएंNice Sir .... Very Good Content . Thanks For Share It .
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Bhut badhiya
जवाब देंहटाएंHealthy Food Care
awesome and nice information, thanks for sharing admin.
जवाब देंहटाएंraatan lambiyan lyrics
hanuman chalisa
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