उलूक टाइम्स: कुछ रूह होती हैं कुछ रूह भूत होती हैं

शनिवार, 4 फ़रवरी 2023

कुछ रूह होती हैं कुछ रूह भूत होती हैं

कुछ रूह होती हैं
सहला देती हैं रूह को बस यूँ ही
कुछ बदल देती हैं समां
यूँ ही आस पास का
लगता है कहीं होती हैं

गोश्त और गोश्त में
कहां कोई फर्क नजर आता है
गोश्त कुछ रूह से महकी हुई
मगर जरुर होती हैं

शुक्रिया कहने की जरुरत
कहां कब रह जाती है
आसपास एक नहीं
जब चाहने वाली कई रूह होती हैं

अब रूह कहें आत्मा कहें
राम और रहीम की भी होती हैं
बहस कुछ गोश्त पर छपी
हमेशा होती हैं और जरुर होती हैं

हजार रूह के बीच
बस एक दो कुछ अजीब होती हैं
गोश्त और रूह से अलहदा
कुछ थोड़ा सा भूत होती हैं

हजारों ख्वाहिशे होती हैं
रूह भी कभी कभी रोती है
उलूक जाना लकड़ियों में है
जलना लकड़ियों में है
खबरें होती हैं
और हमेशा मगर
किसी गोश्त की होती हैं |

चित्र साभार: https://www.shutterstock.com/ 




14 टिप्‍पणियां:

  1. उलूक जाना लकड़ियों में है
    जलना लकड़ियों में है
    खबरें होती हैं
    और हमेशा मगर
    किसी गोश्त की होती हैं |

    -रोंगटे खड़े हो गए..

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(०९ ०२-२०२३) को 'एक कोना हमेशा बसंत होगा' (चर्चा-अंक -४६४०) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  3. मन झकझोरती अभिव्यक्ति सर।
    निःशब्द हूँ।
    सादर।

    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १० फरवरी २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  4. जब आग जलती है तो कुछ न कुछ तो भुनता है ... रूह या गोश्त ...
    सोचने को विवश करती ...

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  5. आपकी यह कविता भी हमेशा की तरह गहरी और व्यंजनापूर्ण . हालांकि गोश्त और रूह का विकल्प हो सकता तो...

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  6. तकलीफ़देह मगर सोचने को मजबूर करती प्रभावी रचना

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  7. होली की हार्दिक शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  8. हजारों ख्वाहिशे होती हैं
    रूह भी कभी कभी रोती है
    उलूक जाना लकड़ियों में है
    जलना लकड़ियों में है
    खबरें होती हैं
    और हमेशा मगर
    किसी गोश्त की होती हैं |
    चिंतन पूर्ण विषय. अद्भुत लेखन

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