कुछ लिखें
कहीं दीवार पर
कुछ कहीं आंगन में लिखें
कुछ कहीं पेड़
पर भी लिखें
पत्ते सा हरा लिखें
लिखें तो
सही
गहरा नहीं भी हो कहीं
हो पानी सा कांच के ऊपर पतला सा फ़ैला
दूध सा सफ़ेद या
थोड़ा सा पीला पीला
सूखी हुई पथरा गयी आंखों के आसपास नहीं भी हो कहीं
बहुत दूर
आसमान में फ़ैले
छितराये से बादलों से मिलते आश्वासनों सा गीला
लिखें बहुत पुरानी
ही कहानी
मां की कही हो या कही हो कोई मोहल्ले की बूढ़ी नानी
आज की लिखें
झूठ ही
सही
मरे हुऐ किसी सच को ओढ़ाती सफ़ेद कफ़न पुरानी
लिखें दूर की एक कौढ़ी
आने वाले कल की झक्क सफ़ेद झूठी भविष्यवाणी
लिखें धीमी
चलती लेखनियों का सीखना
पकड़ना रफ़्तार
और हो जाना दिखना लिखे का
सामने सामने ये
जाना और वो जाना
सारे काले लिखे का हो जाना
सफ़ेद लिखें
लिखें सफ़ेद लिखे का काला हो जाना
पर लिखें कहीं दीवार पर कुछ
कहीं आंगन
में लिखें कुछ
कहीं पेड़ पर भी लिखें पत्ते सा हरा
लिखें जब भी कभी याद आ जाये
लिखने की
कुछ लिखें कहीं
चित्र साभार:
https://www.tansyleemoir.co.uk/the-writing-on-the-tree/
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 01 अगस्त 2024 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
कुछ लिखें कहीं
जवाब देंहटाएंजरूरी है लिखना
वंदन
बहुत बढ़िया,,,,, इंटरनेट, ,मोबाईल में सिमटी दुनिया के आगे कहीं लिखना न भूले इसलिए जरूरी है लिखने की आदत, नहीं तो हासिए पर न रह जाए यह सब,,,,
जवाब देंहटाएंलिखने वाले लिखने का मोह कहाँ छोड़ पाते हैं,
जवाब देंहटाएंनीरसता चरम पर है सर आजकल।
आह्वान का कुछ तो असर हो...।
प्रणाम सर
सादर।
प्रेरक आह्वान सर ! सादर नमस्कार !
जवाब देंहटाएंगहरा नहीं भी हो कहीं
जवाब देंहटाएंहो पानी सा कांच के ऊपर पतला सा फ़ैला
दूध सा सफ़ेद या थोड़ा सा पीला पीला
सूखी हुई पथरा गयी आंखों के आसपास नहीं भी हो कहीं
क्या बात सर
वही लिख सकता है जो पढ़ सके मनसा
आने वाले कल की झक्क सफ़ेद झूठी भविष्यवाणी
अप्रीतम 🙏🙏🙏
बेहद सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंअनुपम
जवाब देंहटाएंलिखें अवश्य- मतलब अपनेआप निकाल लेंगे लोग!
जवाब देंहटाएंसारे काले लिखे का हो जाना सफ़ेद लिखें
जवाब देंहटाएंलिखें सफ़ेद लिखे का काला हो जाना
पर लिखें..
सही कहा इस रंग बदलती दुनिया में कब काला सफेद और सफेद काला पड़ जाय कुछ कहा नही जा सकता...
बस लिख लें मन का पढ़ने वाले मनमुताबिक पढ़ लेंगे ।
बहुत सुन्दर अपने आप में अनूठी रचना ।
वाह ! लिखने को कुछ हो तब तो लिखें न हो तब भी लिखें, लिखते-लिखते ही आ जायेगा पढ़ना भी । जैसे चलते-चलते आ जाती है मंज़िल
जवाब देंहटाएंसही कहा सरकार ,
जवाब देंहटाएंआपके अन्दाज़ ए बयान को सलाम