कुछ वो भी नहीं लिख रहे कुछ
कुछ हम भी नहीं लिख रहे कुछ
कहीं वो भी नहीं दिख रहे हैं कुछ
वहीं हम भी नहीं दिख रहे हैं कुछ
कहा है उन्होंने ही
किसलिए लिख रहे कुछ
कुछ कह रहे हैं
वो दिख रहे हैं इसीलिए
लिख रहे हैं कुछ
पड़ा हुआ है इतना इधर कुछ
कुछ उधर बिछा रहे हैं कुछ
कैसे पढ़े कोई सभी कुछ
रहने दिया जाए कुछ
पढ़ लिया सब कुछ जरूरी नहीं है
सब से ही कह दिया जाए कुछ
सब से ही कह दिया जाए कुछ
कब से साफ सफाई से
बहुत साफ सुथरा सा लिख रहे कुछ
कुछ लिखा रहे हैं साफ कूड़ा कुछ
कुछ सिखा रहे हैं सरताज कूड़ा कुछ
पहले बेतरतीब लिख फ़ैला रहे थे जो कुछ
घेर कर बाड़े में उनको सबक सीखा रहे हैं कुछ
‘उलूक’ रहने दे नहीं बस में तेरे कुछ
लिखना कुछ दिखाना कुछ
आसान नहीं है इतना सब कुछ
समेटने में सफाई से कूड़ा कुछ
फैलाने में सफाई से कूड़ा कुछ
चित्र साभार: https://pngtree.com/

कुछ वो भी नहीं लिख रहे कुछ
जवाब देंहटाएंकुछ हम भी नहीं लिख रहे कुछ
बहुत ही सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंहाथी के दांत खाने के और दिखाने के और...
जवाब देंहटाएंलिखना ज़रूरी है कुछ न कुछ...
सादर प्रणाम सर।
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नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार २ दिसम्बर २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
वाह
जवाब देंहटाएंलाजबाब
जवाब देंहटाएंसमेटने में सफ़ाई से कूड़ा कुछ, बिखेरने में सफ़ाई से कूड़ा ... बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना 🙏
जवाब देंहटाएंलिखना कुछ दिखाना कुछ
जवाब देंहटाएंआसान नहीं है इतना सब कुछ... शानदार कटाक्ष