लिखने लिखाने के राज
किसी को कभी मत बता
जब कुछ भी समझ में ना आये
लिखना शुरु हो जा
घोड़ों के अस्तबल में
रहने में कोई बुराई नहीं होती
जरा भी मत शरमा
कोई खुद ही समझ ले तो समझ ले
गधे होने की बात को
जितना भी छिपा सकता है छिपा
जितना भी छिपा सकता है छिपा
कभी कान को ऊपर की ओर उठा
कभी पूँछ को आगे पीछे घुमा
चाबुकों की फटकारों को
वहाँ सुनने से परहेज ना कर
यहाँ आकर आवाज की नकल की
जितनी भी फोटो कापी चाहे बना
घोड़े जिन रास्तों से कभी नहीं जाते
उन रास्तों पर अपने ठिकाने बना
घोड़ो की बात पूरी नहीं तो आधी ही बता
जितना कुछ भी लिख सकता है लिखता चला जा
उन्हें कौन सा पढ़ना है कुछ भी यहाँ आकर
इस बात का फायदा उठा
सब कुछ लिख भी गया
तब भी कहीं कुछ नहीं है कहीं होना
तब भी कहीं कुछ नहीं है कहीं होना
घोड़ों को लेखनी की लंगड़ी लगा
बौद्धिक अत्याचार के बदले का इसी को हथियार बना
घोड़ों की दौड़ को बस किनारे से देखता चला जा
बस समझने की थोड़ा कोशिश कर
फिर सारा हाल लिख लिख कर यहाँ आ कर सुना
वहाँ भी
कुछ नहीं होना है तेरा
कुछ नहीं होना है तेरा
यहाँ भी
कुछ नहीं है होना
कुछ नहीं है होना
गधा होने का सुकून मना
घोड़ों के अस्तबल का
हाल लिख लिख कर दुनियाँ को सुना
हाल लिख लिख कर दुनियाँ को सुना
गधा होने की बात
अपने मन ही मन में चाहे गुनगुना।
अपने मन ही मन में चाहे गुनगुना।