उलूक टाइम्स: कम्पनी
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सोमवार, 20 अक्टूबर 2014

जलायें दिये पर रहे ध्यान इतना कूड़ा धरा का कहीं बच ना पाये

दीपावली का
त्योहार
शुरु हो चुका है
चिंताऐं अब
उतनी नहीं हैं
जगह जगह
पहले से ही
रोशनी है
आतिशबाजी
हो चुकी है
कहीं कोई
धुआँ नहीं है
पर्यावरण
अपनी हिफाजत
खुद कर रहा है
उसको भी
पहले से ही
सब कुछ पता है
लक्ष्मी नारायण
भी बहुत व्यस्त
नजर आ रहे हैं
धन के रंग को
बदलने का
इंतजाम कुछ
करवा रहे हैं
सफेद सारे
एक जगह पर
और काले को
दूसरी जगह पर
धुलवा रहे हैं
काले और सफेद
पैसे का भेद भाव
भी अब नहीं
रह गया है
इस दीपावली पर
एक नया संशोधन
ऊपर से ही
बनवा कर
भिजवा रहे हैं
मुद्दों की बात
करना भी बेमानी
होने जा रहा है
समस्याओं को
समस्याओं का
ही जल्लाद
अपनी ही रस्सी से
फाँसी लगा रहा है
श्रीमती जी
बहुत खुश हैं
उनकी राशन की
दुकान की पर्ची
‘उलूक’
भिजवा रहा है
खाने पीने के
सामान कम लिखे
नजर आ रहे हैं
दर्जन भर झाड़ू
थोक में मंगवा रहा है
दीये इस बार
लेने की जरूरत
नहीं पड़ेगी
एक झाड़ू के साथ
बाराह दीये
कम्पनी का आदमी
अपनी ओर से
भिजवा रहा है ।

चित्र साभार: गूगल क्लिप आर्ट ।

मंगलवार, 25 सितंबर 2012

सपना कर अपना पूरा कम्पनी बना

अपने
सपनों को
हकीकत
में नहीं
अगर
बदल पाओ

दिमाग
है ना
उसे 
काम
में लाओ

अपने
सपनों के
शेयर बनाओ

कुछ
अपने जैसे
सपने देखने
वालों के
सपनों के
साथ मिलाओ

कम्पनी
एक खड़ी
कर बाजार
में ले आओ

कम्पनी
के सपनों
की ये बात
किसी को
भूल कर भी
मत बताओ

ऎसा
मुद्दा एक
इसके
बाद उठाओ

जिसको
लेकर लोगों
के सपनों को
उकसा पाओ

पार्टी शार्टी
जात पात
भेद भाव
ऊँच नीच
की सोच पर
कुछ दिन
के लिये
विराम लगाओ

मनमोहन
के हो तो
आडवानी जी
वाले के साथ
कुछ दिन बिताओ

माया दीदी
से प्रेम
रखने वाले
मुलायम वाले
की साईकिल
पर बैठे
दिख जाओ

धार्मिक
आस्था भी
कुछ दिन
के लिये
भूल जाओ

एक
दूसरे में
हिल मिल
जाओ

देखने
वाले लोग
पागल हो जायें

कुछ कुछ
ऎसा माहौल
दो चार ही महीनो
के लिये बनाओ

कुछ दिन
मीटिंग सीटिंग
करते हुऎ
नजर आओ

पोस्टर
वोस्टर थोडे़
शहर में
वाओ

अखबार
में कुछ
समाचार
छपवाओ

इन सब
के बीच
काम हो गया
पता चलते ही
गोल हो जाओ

नजर
मत आओ
कम्पनी की टोपी
किसी दूसरे के
सर पर रख जाओ

सन्यासी
हो गये हैं
वो तो कब के
जैसी 
खबर
तुरंत फैलाओ 


जाओ
अब यहाँ
क्या बचा है
किसी और के
सपनो में अपना
सिर मत खपाओ ।