उलूक टाइम्स: कुँवारा
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मंगलवार, 18 फ़रवरी 2014

कोई नया नहीं है बहुत पुराना है फिर से आ रहा है वही दिन




अब दिन तो 
आते ही हैं 
किसी दिन 
किसी का दिन 
किसी दिन 
किसी का दिन 
एक दिन 
उसका दिन 
एक दिन 
इसका दिन 
एक दिन एक 
मरे हुऐ को 
याद करने 
का दिन 
एक दिन एक 
जिंदा को 
सलाम करने 
का दिन 
ग्लोबलाईजेशन 
के जमाने का 
असर झेलता 
रहा इसी तरह 
अगर दिन 
तो दिखेगा 
एक दिन में 
एक नहीं कई 
कई दिनों 
का दिन 
असल जिंदगी 
के टेढ़े मेढ़े 
दिनो को सीधा 
करता हुआ 
एक दिन 
रोज के आटे 
दाल सब्जी 
रोटी से जूझते 
रहने वाली की 
भी कुछ कुछ 
याद आ ही 
जाने का दिन 
इसका उसका 
नहीं हमारा दिन 
बस एक दिन 
जता लेने के 
लिये बहुत ही 
है प्यारा दिन 
कभी किसी दिन 
रहा होगा यही 
एक कुँवारा दिन 
अब आ ही 
जाता है हर साल 
बताने के लिये 
कहीं किसी ओर 
की तरफ भूल 
कर तो नहीं 
चला जा 
रहा है दिन 
साल के सारे 
दिनों का निचोड़ 
सारे के सारे 
तरह तरह के 
दिनों के ऊपर 
एक दिन के 
लिये ही सही 
मुस्कुराने की 
कोशिश करता 
हुआ बहुत भारी 
होने जा रहा दिन 
एक दो नहीं 
बाईस साला हो 
जा रहा एक दिन 
इतने मजबूत दिन 
के लिये मत
कह देना
 
किस तरह के 
दिन की बात 
बताने जा रहा है 
आज का वाला ये 
तुम्हारा दिन ।

शनिवार, 5 अक्टूबर 2013

कहानी की भी होती है किस्मत ऐसा भी देखा जाता है

कहानियाँ
बनती हैं
एक नहीं बहुत

हर जगह पर
अलग अलग

पर
हर कहानी
एक जगह नहीं
बना पाती है

कुछ
छपती हैं
कुछ
पढ़ी जाती हैं

अपनी अपनी
किस्मत होती है
हर कहानी की

उस
किस्मत के
हिसाब से ही
एक लेखक
और
एक लेखनी
पा जाती हैं

एक
बुरी कहानी
को एक अच्छी
लेखनी ही
मशहूर बनाती है

एक
अच्छी कहानी
का बैंड भी एक
लेखनी ही बजाती है

पाठक
अपनी
सोच के
अनुसार ही
कहानी का
चुनाव कर पाता है

इस मामले में
बहुत मुश्किल
से ही अपनी
सोच में कोई
लोच ला पाता है

मीठे का शौकीन मीठी
खट्टे का दीवाना खट्टी
कहानी ही लेना चाहता है

अब कूड़ा
बीनने वाला भी
अपने हिसाब से ही
कूड़े की तरफ ही
अपना झुकाव
दिखाता है

पहलू होते हैं ये भी
सब जीवन के ही

फ्रेम देख कर
पर्दे के अंदर रखे
चित्र का आभास
हो जाता है

इसी सब में
बहुत सी
अनकही
कहानियों की
तरफ किसी का
ध्यान नहीं जाता है

क्या किया जाये
ये भी होता है
और
बहुत होता है

एक
सर्वगुण
संपन्न भी
जिंदगी भर
कुँवारा
रह जाता है ।