छोड़ो
रहने दो
कुछ नहीं
लिखो
कुछ नहीं
ही
सब कुछ है
कुछ कुछ
लिखते लिखते
अब तो
समझ लो
कुछ नहीं
लिखोगे
पहरे
से
दूर रहोगे
लिखे
का
हिसाब भी
नहीं
देना पड़ेगा
कहीं
कोई
बही खाता
ही नहीं बनेगा
आई टी सेल
नजर
ही
नहीं रखेगा
सब कुछ
सामान्य
सा दिखेगा
कुछ नहीं
लिखना
एक
नेमत होती है
समझा करो
सबका
मालिक
एक है
सब जगह
अलग अलग है
माना
फिर भी
नेक है
मालिक
की जय
होनी ही चाहिये
करते चलो
कुछ नहीं
लिखना है
का
सिद्धांत
बना कर
लिखने के
क्षेत्र में
जहाँ तक
पहुँचने की चाहत है
आगे बढ़ो
किसने
रोका है
बेधड़क लिखो
बस
कुछ नहीं
लिखने पर
अड़े रहो खड़े रहो
आँखें
कान नाक
बंद रख सको
तो
सोने में सुहागा होगा
सब कुछ
बंद रखने वालो
के लिये
हर रास्ते पर
माला लिये खड़ा
मालिक का भेजा
कोई ना कोई
अभागा होगा
समझा करो
ध्यान मत दो
जो हो रहा है
किसी के
भले के लिये ही
हो रहा होगा
गीता
सिरहाने पर रख कर
सोया करो
हर ऐरे गैरे
की
रामायण पर
ध्यान मत दिया करो
कुछ नहीं
कहने पर
टिके रहो
कहे कहाये पर
सुने सुनाये पर
कान
मत दिया करो
कुछ नहीं करने वाले
हर जगह होते हैं
सारे ब्रह्माण्ड का भार
वो सब ही ढोते हैं
कुछ नहीं करने वालों के
चरण स्पर्श करो
विनती करो
कहो
कुछ नहीं कहता हूँ
कुछ नहीं करता हूँ
कुछ नहीं लिखता हूँ
कुछ नहीं कमेटी में
कहीं तो कोई स्थान
अब तो दो
सारे शरीफ
कुछ
करने कहने लिखने
वाले जानते हैं
‘उलूक’ बेशर्म है
कुछ नहीं कहता है
उसे जरा सा भी शर्म नहीं है
जरूरत
किस बात की
कहाँ पर है
भगवन
ध्यान मत दो
कुछ नहीं करो
कुछ नहीं लिखो
कुछ नहीं को
मिलता है सम्मान
कुछ तो महसूस करो
कुछ नहीं शहर के
सम्मानित
रोज सुबह के अखबार में
कुछ नहीं
समाचारों के साथ
देखा करो
कुछ नहीं को
आत्मसात करो
देश के साथ
कुछ नहीं गाते
आगे बढ़ो
कुछ नहीं
लिखो
कुछ नहीं पर
टिप्पणी करो
कुछ नहीं
की
गिनती करो
ठान लो
इसके लिखे को
कहीं नहीं
दिखना चाहिये
डटे रहो अड़े रहो
कुछ मत करो
लिखने वाले
को
अहसास कराओ
कुछ नहीं
हो
लिखते रहो
कुछ नहीं
लिखना
अच्छा है
कुछ लिखने से
कुछ नहीं
लिखो।
https://www.dreamstime.com/
रहने दो
कुछ नहीं
लिखो
कुछ नहीं
ही
सब कुछ है
कुछ कुछ
लिखते लिखते
अब तो
समझ लो
कुछ नहीं
लिखोगे
पहरे
से
दूर रहोगे
लिखे
का
हिसाब भी
नहीं
देना पड़ेगा
कहीं
कोई
बही खाता
ही नहीं बनेगा
आई टी सेल
नजर
ही
नहीं रखेगा
सब कुछ
सामान्य
सा दिखेगा
कुछ नहीं
लिखना
एक
नेमत होती है
समझा करो
सबका
मालिक
एक है
सब जगह
अलग अलग है
माना
फिर भी
नेक है
मालिक
की जय
होनी ही चाहिये
करते चलो
कुछ नहीं
लिखना है
का
सिद्धांत
बना कर
लिखने के
क्षेत्र में
जहाँ तक
पहुँचने की चाहत है
आगे बढ़ो
किसने
रोका है
बेधड़क लिखो
बस
कुछ नहीं
लिखने पर
अड़े रहो खड़े रहो
आँखें
कान नाक
बंद रख सको
तो
सोने में सुहागा होगा
सब कुछ
बंद रखने वालो
के लिये
हर रास्ते पर
माला लिये खड़ा
मालिक का भेजा
कोई ना कोई
अभागा होगा
समझा करो
ध्यान मत दो
जो हो रहा है
किसी के
भले के लिये ही
हो रहा होगा
गीता
सिरहाने पर रख कर
सोया करो
हर ऐरे गैरे
की
रामायण पर
ध्यान मत दिया करो
कुछ नहीं
कहने पर
टिके रहो
कहे कहाये पर
सुने सुनाये पर
कान
मत दिया करो
कुछ नहीं करने वाले
हर जगह होते हैं
सारे ब्रह्माण्ड का भार
वो सब ही ढोते हैं
कुछ नहीं करने वालों के
चरण स्पर्श करो
विनती करो
कहो
कुछ नहीं कहता हूँ
कुछ नहीं करता हूँ
कुछ नहीं लिखता हूँ
कुछ नहीं कमेटी में
कहीं तो कोई स्थान
अब तो दो
सारे शरीफ
कुछ
करने कहने लिखने
वाले जानते हैं
‘उलूक’ बेशर्म है
कुछ नहीं कहता है
उसे जरा सा भी शर्म नहीं है
जरूरत
किस बात की
कहाँ पर है
भगवन
ध्यान मत दो
कुछ नहीं करो
कुछ नहीं लिखो
कुछ नहीं को
मिलता है सम्मान
कुछ तो महसूस करो
कुछ नहीं शहर के
सम्मानित
रोज सुबह के अखबार में
कुछ नहीं
समाचारों के साथ
देखा करो
कुछ नहीं को
आत्मसात करो
देश के साथ
कुछ नहीं गाते
आगे बढ़ो
कुछ नहीं
लिखो
कुछ नहीं पर
टिप्पणी करो
कुछ नहीं
की
गिनती करो
ठान लो
इसके लिखे को
कहीं नहीं
दिखना चाहिये
डटे रहो अड़े रहो
कुछ मत करो
लिखने वाले
को
अहसास कराओ
कुछ नहीं
हो
लिखते रहो
कुछ नहीं
लिखना
अच्छा है
कुछ लिखने से
कुछ नहीं
लिखो।
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