उलूक टाइम्स: कोयला
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बुधवार, 6 मई 2015

क्यों कभी कोई कहीं आग से ही आग को गरम कर रहा होता है

आग होती है
थोड़ी सी कहीं
कहीं थोड़ी सी
बस राख होती है
कहीं धीमा सा
सुलगता हुआ
नरम एक
कोयला होता है
कहीं थोड़ा सा धुआँ
और बस कुछ
धुआँ होता है
कहीं जलता है
खुद का ही
कुछ खुद ही
के अंदर कहीं
जलने वाले को
पता होता है
कहीं कुछ कुछ
जल रहा होता है
कहीं दिखती है लपट
कहीं दिखता नहीं है
कुछ भी कहीं पर
कहीं कुछ बातों में
निकल बूँद बूँद
टपक रहा होता है
‘उलूक’ अपनी आग
लेकर साथ में अपने
इसकी आग से
उसकी आग में
आग लगने की
चिंता कर रहा होता है ।

चित्र साभार: www.clipartof.com

सोमवार, 5 जनवरी 2015

चूहे मारने वाली बिल्लियों को कुत्तों की देखभाल करने के काम दिये जाते हैं

एक नहीं कई जगहों पर
कोयले मोहर लगाते हैं
सब कुछ काला काला
हो जाता है फिर भी
कव्वे शोर नहीं मचाते हैं
हीरे बहुत से होते हैं
कोयलों के बीच से ही
कोयलों में से ही कुछ
दब दबा कर
बन बना जाते हैं
यहाँ कोयले कहने से
मतलब उड़ती काली
चीज से मत
निकाल बैठियेगा
वो बात अलग है
कोयला जला के
काला हुआ पदार्थ
कोयल से भी
बनाया जा सकता है
जब कोयल को हम
आग में जलाते हैं
बात कोयले के मोहर
लगाने से शुरु हुई थी
भटक गई उड़ती
चिड़िया के पंखों की
फड़फड़ाहट में
घबराने की बात नहीं है
घबराने वाले ही
असली जगह पर
हीरों को कोयलों से
कम आँके जाने का
हिसाब किताब बना
कर सिखाते हैं
कोई भी दो आँखों वाला
आँखों को कष्ट नहीं देता है
हर सजावट की जगह पर
हीरे नहीं आने दिये जाते हैं
राज काज राजा को
ही चलाना होता है
समझदार लोग भी
राजकाज में मदद
करने के लिये आते हैं
काम दिया जाने से पहले
जरूरी होता है बताना
अपने काम करने
की अच्छाईयों को
दूध देने वाली गायों को
बकरी कटने वाले
कारखाने के रास्ते
पर दौड़ाते हैं
सीख लेते हैं
इस कलाकारी
को जो भी कलाकार
दीवार पर लगी सीढ़ी में
बहुत ऊपर तक
चढ़े नजर आते हैं
जिसको आता है
दीवार पर चूना लगाना
सीढ़ी पकड़े उसे गिरने से
रोकते हुऐ नजर आते हैं ।

चित्र साभार: www.shutterstock.com

शनिवार, 26 अक्टूबर 2013

कोयलों में हीरा देखने का भी तमीज होता है !

हीरा तो होता ही
है कोयले का
अपररूप
बस दिखने में
कुछ अलग होता है
खूबसूरत होता है
हाथ की अंगूठी में
गले के हार में
जड़ा होता है
वो बात अलग है
रसायन के ज्ञान
के हिसाब से
तत्व सब में
कार्बन ही होता है
आदमी के गणित
के हिसाब से
कहीं भी
कुछ भी
कैसे भी
अगर होता है
तो किसी के भले
के लिये ही होता है
झूठ महाभारत में
युधिष्ठर ने तक
जब बोला होता है
कोयलों में से
एक कोयला
उठा कर
कोई उसे
हीरा कह
देता है
तो भी
कुछ नहीं
कहीं होना
होता है
कहने वाला
इतना भी
बेवकूफ नहीं
होता है
कहने के बाद
कोयले को
हीरे की बाजार
में जो क्या
भेज देता है
कोयले को
कोयलों में ही
रहने दे कर
नाम हीरा
दे देता है
अश्वथामा
मारा गया
किंतु हाथी
कहना भी
जरूरी नहीं
होता है ।