किताबों तक
पहुँच ही
जाते हैं
बहुत से लोग
कुछ नहीं भी
पहुँच पाते हैं
होता कुछ
भी नहीं है
किताबों को
पढ़ते पढ़ते
सब सीख
ही जाते हैं
किताबें
चीज कितने
काम की होती हैं
किताबों को
साथ रखना
पढ़ना ही
सिखाता है
अपनी
खुद की एक
किताब का
होना भी
कितना जरूरी
हो जाता है
एक
आदमी के
कुछ कहने
का कोई
अर्थ नहीं
होता है
क्या फरक
पड़ता है
अगर वो
गाँधी या
उसकी
तरह का ही
कोई और
भी होता है
लिखना पढ़ना
पाठ्यक्रम के
हिसाब से एक
परीक्षा दे देना
पास होना
या फेल होना
किताबों के
होने या
ना होने
का बस
एक सबूत
होता है
बाकी
जिंदगी के
सारे फैसले
किताबों से
कौन और
कब कहाँ
कभी ले लेता है
जो भी होता है
किसी की अपनी
खुद की किताब
में लिखा होता है
समय के साथ
चलता है
एक एक पन्ना
हर किसी की
अपनी किताब का
कोई जल्दी
और
कोई देर में
कभी ना कभी
तो अपने
लिये भी
लिख ही
लेता है
पढ़ता है
एक किताब
कोई भी
कहीं भी
और कभी भी
करने पर
आता है
तो उसकी
अपनी ही
किताब का
एक पन्ना
खुला होता है ।
पहुँच ही
जाते हैं
बहुत से लोग
कुछ नहीं भी
पहुँच पाते हैं
होता कुछ
भी नहीं है
किताबों को
पढ़ते पढ़ते
सब सीख
ही जाते हैं
किताबें
चीज कितने
काम की होती हैं
किताबों को
साथ रखना
पढ़ना ही
सिखाता है
अपनी
खुद की एक
किताब का
होना भी
कितना जरूरी
हो जाता है
एक
आदमी के
कुछ कहने
का कोई
अर्थ नहीं
होता है
क्या फरक
पड़ता है
अगर वो
गाँधी या
उसकी
तरह का ही
कोई और
भी होता है
लिखना पढ़ना
पाठ्यक्रम के
हिसाब से एक
परीक्षा दे देना
पास होना
या फेल होना
किताबों के
होने या
ना होने
का बस
एक सबूत
होता है
बाकी
जिंदगी के
सारे फैसले
किताबों से
कौन और
कब कहाँ
कभी ले लेता है
जो भी होता है
किसी की अपनी
खुद की किताब
में लिखा होता है
समय के साथ
चलता है
एक एक पन्ना
हर किसी की
अपनी किताब का
कोई जल्दी
और
कोई देर में
कभी ना कभी
तो अपने
लिये भी
लिख ही
लेता है
पढ़ता है
एक किताब
कोई भी
कहीं भी
और कभी भी
करने पर
आता है
तो उसकी
अपनी ही
किताब का
एक पन्ना
खुला होता है ।