सब को पता होता है
आसान नहीं होता है
खुद ही लिख लेना
खुद को और दे देना
पढ़ने के लिये किसी
दूसरे या तीसरे को
सब लिखना जानते हैं
लिखते भी हैं
कुछ कम लिखते हैं
कुछ ज्यादा लिखते है
कुछ इसको लिखते हैं
कुछ उसको लिखते हैं
खुद को लिखने की
कितने सोचते हैं
पता नहीं पर
कहीं पर खुद को
लिखते हुऐ
नहीं दिखते हैं
लिखा हुआ
बहुत कुछ होता है
दिखता है
कहा हुआ भी
कम नहीं होता है
सुनाई पड़ता है
खुद पर खुद का
उसमें कितना
कितना होता है
उसे निकाल कर
मापने का कोई
मीटर नहीं होता है
कोई सोचता है
या नहीं पता नहीं
पर कई बार
मन करता है
लिख दिया जाये
सब कुछ
फिर सोच में आता है
कौन पढ़ेगा वो सब
जो किसी के भी
पढ़ने के मतलब
का नहीं होता है
अच्छा होता है
सबका अपना
खाना अपना
पीना होता है
क्या कम नहीं
होता है इस सब
के बावजूद
इसका और
उसका पढ़
लेने का समय
कोई निकाल लेता है
खुद का खुद ही
पढ़ा लिखा जाये
वही सबसे अच्छा
रास्ता होता है
खुदी को कर
बुलंद इतना
खुदा ने यूँ ही
बेकार में नहीं
कहा होता है
खुद पर लिखे पर
खुद से वाह वाह
भी कोशिशों के
बावजूद जब नहीं
कहा जा रहा होता है
उस समय ये
समझ में बहुत
अच्छी तरह आ
रहा होता है
खुद को पढ़वाने
का शौक रखने वाला
हमेशा खुद को
किसी और से ही
क्यों लिखवा
रहा होता है ।
चित्र साभार: http://www.clker.com/
आसान नहीं होता है
खुद ही लिख लेना
खुद को और दे देना
पढ़ने के लिये किसी
दूसरे या तीसरे को
सब लिखना जानते हैं
लिखते भी हैं
कुछ कम लिखते हैं
कुछ ज्यादा लिखते है
कुछ इसको लिखते हैं
कुछ उसको लिखते हैं
खुद को लिखने की
कितने सोचते हैं
पता नहीं पर
कहीं पर खुद को
लिखते हुऐ
नहीं दिखते हैं
लिखा हुआ
बहुत कुछ होता है
दिखता है
कहा हुआ भी
कम नहीं होता है
सुनाई पड़ता है
खुद पर खुद का
उसमें कितना
कितना होता है
उसे निकाल कर
मापने का कोई
मीटर नहीं होता है
कोई सोचता है
या नहीं पता नहीं
पर कई बार
मन करता है
लिख दिया जाये
सब कुछ
फिर सोच में आता है
कौन पढ़ेगा वो सब
जो किसी के भी
पढ़ने के मतलब
का नहीं होता है
अच्छा होता है
सबका अपना
खाना अपना
पीना होता है
क्या कम नहीं
होता है इस सब
के बावजूद
इसका और
उसका पढ़
लेने का समय
कोई निकाल लेता है
खुद का खुद ही
पढ़ा लिखा जाये
वही सबसे अच्छा
रास्ता होता है
खुदी को कर
बुलंद इतना
खुदा ने यूँ ही
बेकार में नहीं
कहा होता है
खुद पर लिखे पर
खुद से वाह वाह
भी कोशिशों के
बावजूद जब नहीं
कहा जा रहा होता है
उस समय ये
समझ में बहुत
अच्छी तरह आ
रहा होता है
खुद को पढ़वाने
का शौक रखने वाला
हमेशा खुद को
किसी और से ही
क्यों लिखवा
रहा होता है ।
चित्र साभार: http://www.clker.com/