आशा और
निराशा की
नहीं हो
रही होती है
शमशान घाट
में जब
दुनियादारी
की बात
हो रही होती है
मोह माया
त्याग करने
की भावना की
जरूरत ही
शायद नहीं
हो रही होती है
बदल गया
है नजरिया
देखिये इस
तरह कुछ
वहाँ पर अब
जीने और
मरने की
कोई नहीं
राहुल रावत
और मोदी
की बात
हो रही होती है
राम के
सत्य नाम
से उलझ
रही होती है
जब तक
चार कंधों में
झूलते चल
रही होती है
चिता में
रखने तक की
सुनसानी हो
रही होती है
आग लगते
ही बहुत
फुर्सत में
हो रही होती है
कुछ कहने
सुनने की
नहीं बच
रही होती है
ये बात भी बस
एक बात ही है
आज के
अखबार के
किसी पन्ने
में ही कहीं पर
छप रही होती है
मरने वाले
की बात
कहीं पर
भी नहीं
हो रही होती है
इस बार
उसकी वोट
नहीं पड़
रही होती है
जनाजों में
भीड़ भी
बहुत बढ़
रही होती है
किसी के
मरने की खबर
होती है कहीं
पर जरूर
चुनाव पर
बहस पढ़ने पर
कहीं बीच
में खबर के
कहीं पर घुसी
ढूंढने से
मिल रही होती है ।
निराशा की
नहीं हो
रही होती है
शमशान घाट
में जब
दुनियादारी
की बात
हो रही होती है
मोह माया
त्याग करने
की भावना की
जरूरत ही
शायद नहीं
हो रही होती है
बदल गया
है नजरिया
देखिये इस
तरह कुछ
वहाँ पर अब
जीने और
मरने की
कोई नहीं
राहुल रावत
और मोदी
की बात
हो रही होती है
राम के
सत्य नाम
से उलझ
रही होती है
जब तक
चार कंधों में
झूलते चल
रही होती है
चिता में
रखने तक की
सुनसानी हो
रही होती है
आग लगते
ही बहुत
फुर्सत में
हो रही होती है
कुछ कहने
सुनने की
नहीं बच
रही होती है
ये बात भी बस
एक बात ही है
आज के
अखबार के
किसी पन्ने
में ही कहीं पर
छप रही होती है
मरने वाले
की बात
कहीं पर
भी नहीं
हो रही होती है
इस बार
उसकी वोट
नहीं पड़
रही होती है
जनाजों में
भीड़ भी
बहुत बढ़
रही होती है
किसी के
मरने की खबर
होती है कहीं
पर जरूर
चुनाव पर
बहस पढ़ने पर
कहीं बीच
में खबर के
कहीं पर घुसी
ढूंढने से
मिल रही होती है ।