उलूक टाइम्स: छात्र
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मंगलवार, 25 अक्टूबर 2016

NAAC ‘A’ की नाक के नीचे की नाव छात्रसंघ चुनाव

किसी
बेवकूफ
ने सभी
पदों पर
नोटा पर
निशान
लगाया था

तुरन्त
होशियार
के
होशियारों
ने उसपर
प्रश्नचिन्ह
लगाया था

सोये हुऐ
प्रशासन
की नींद
जारी
रही थी
काम
निपटाये
जा रहे थे

लिंगदोह
कुछ देर
के लिये
अखबार
में दिखा था
और
प्रशासन
की फूँक
भी खबर
के साथ
हवा में
उड़ती हुई
थोड़ी देर
के लिये
चेतावनियाँ
लिये
उड़ी थी

अखबार में
खबर किसने
चलाई थी
और क्यों ये
अलग प्रश्न था
अलग बात थी

गुण्डाराज
के गुण्डों
पर किसे
कुछ
कहना था
और
किस की
औकात थी

पर पिछले
दो महीने
के ताण्डवों
से परेशान
कुछ दूर
दराज के
गावों से
शहर में
आकर पढ़
रहे इन्सान
सुखाते
जा रहे
कुछ जान
कुछ बेजान
कुछ परेशान
किसी ने
नहीं देखे थे

दिखते
भी कैसे
नशे में
चूर भीड़
बौराई
हुई थी
और
प्रशासन
शाशन के
आशीर्वादों
से
लबालब
जैसे
मिट्टी नई
किसी
खेत की
भुरभुराई
हुई थी

जो
भी था
चुनाव
होना था
हुआ
मतपत्र
गिने
जाने थे
किसी ना
किसी ने
गिनना था

एक मत पत्र
बीच में
अकेला दिखा
जिसमें हर
पद पर नोटा
था दिया गया

किसी ना
किसी
ने कुछ
तो कहना
ही था

बेवकूफ
वोट देने
ही क्यों
आया था
सारे पदों
पर
नोटा पर
मुहर लगा
अपनी
बेवकूफी
बता कर
आखिर
उसने क्या
पाया था

‘उलूक’
मन ही मन
मुस्कुराया था
हजारों में
एक ही
सही पर
था कहीं
जो अपने
गुस्से का
इजहार
कर
पाया था
असली
मतदान
कर उस
अकेले
ने सारे
निकाय
को आईना
एक
दिखाया था ।

चित्र साभार: Canstockphoto.com

रविवार, 3 नवंबर 2013

एक बच्चे ने कहा ताऊ मोबाइल पर नहीं कुछ लिखा



अपने पास
है
नहीं 

भाई

ऐसी चीज
पर 


लिखने
को 
कह जाता है 

अभी तक
पता नहीं 


हाथ 
ही में
क्यों है 

दिमाग
के
अंदर ही

क्यों
नहीं फिट
कर 
दिया जाता है 

मर जायेगा 
अगर
नहीं पायेगा 

हर कोई ऐसा जैसा 
ही
दिखाता है 

छात्र छात्राओं
की 
कापी पैन

और 
किताब
हो जाता है 

पंडित मंत्र 
पढ़ते पढ़ते 

स्वाहा करना
ही 
भूल जाता है 

पढ़ाना
शुरु बाद 
में
होता है

शिक्षक 
कक्षा के बाहर 
पहले 
चला जाता है 

लौट कर
आने 
तक 
समय ही
समाप्त हो जाता है 

मरीज की सांस 
गले में
अटकाता है 

चिकित्सक
आपरेशन
के 
बीच में

बोलना
जब 
शुरु हो जाता है 

बड़ी बड़ी
मीटिंग होती है 

कौन
कितना बड़ा
आदमी है 

घंटी की आवाज
से ही 
पता चल जाता है 

टैक्सी ड्राइवर
मोड़ों पर 
दिल जोर से
धड़काता है 

आफिस
के
मातहत को 

साहब का नंबर
साफ 
बिना चश्में के
दिख जाता है ‌‌

जवाब नहीं
देना चाहता है 

जेब में होता है
पर 

घर
छोड़ के आया है 
कह कर
चला जाता है 

कामवाली
बाई से 
बिना बात किये 
नहीं
रहा जाता है 

बर्तनो
में
बचा साबुन 
खाने को जैसे 
मुंह के अंदर ही 
धोना चाहता है 

सड़क पर चलता 
आदमी
एक सिनेमाघर 
अपना
खुद हो जाता है 

सब की
बन रही होती है 
अपनी ही
फिल्म 

दूसरे की
कोई नहीं
देखना चाहता है 

बहुत
काम की चीज है 

सब की एक 
राय बनाता है 

होना
अलग बात है 

नहीं होना 
ज्यादा फायदेमंद 

बस
एक गधे को 
ही
नजर आता है

धोबी
के पास होने 
पर भी
वो बहुत 
खिसियाता है 

गधा
खुश हो कर 
बहुत मुस्कुराता है 

धोबी
ढूँढ रहा था 
बहुत ही बेकरारी से 

जब कोई
आकर 
उसे बताता है 

इससे
भी लम्बी 
कहानी हो सकती है 

अगर कोई 
मोबाइल पर 
कुछ और भी 
लिखना
चाहता है ।

चित्र साभार:
https://www.gograph.com/