विजया दशमी के जुलूस में
भगदड़ मचने पर
भगदड़ मचने पर
पकड़ कर थाने लाये गये
दो लोगों से
दो लोगों से
जब पूछताछ हुई
एक ने अपने को लंका का राजा रावण बताया
दस सिर तो नहीं थे
फिर भी हरकतों से सिर से पाँव तक
रावण जैसा ही नजर आया
रावण जैसा ही नजर आया
और दूसरे की पहचान
बहुत आसानी से
अयोध्या के भगवान राम की हुई
जिनको बिना देखे भी
सारे के सारे रामनामी दुपट्टे ओढ़े भक्तों ने
आँख नाक कान बंद कर के
जय श्री राम का नारा जोर शोर से लगाया
दोनो ने अपना गाँव
इस लोक में नहीं
परलोक में कहीं होना बताया
मजाक ही मजाक में उतर गये
उस लोक से इस लोक में
इस बार दशहरा
पृथ्वी लोक में आकर
खुद ही देखने का प्लान
खुद ही देखने का प्लान
उन्होने खुद नहीं
उनके लिये ऊपर उनके ही
किसी चाहने वाले ने बनाया
किसी चाहने वाले ने बनाया
ऊपर वालों ने नीचे आने जाने में अड़ंगा भी नहीं लगाया
भीड़ से पल्ला पड़ा जब
राम और रावण का नीचे उतर कर
भीड़ में से किसी ने अपने आप को राम का भाई
किसी ने चाचा
किसी ने बहुत ही नजदीक का ताऊ बताया
रावण के बारे में पूछने पर
किसी ने कोई जवाब नहीं दिया
इसने उससे और उसने किसी और से
पूछने की राय दे कर अपना
पूछने की राय दे कर अपना
मुँह इधर और उधर को किया
सभी ने अपना अपना पीछा रावण को देखते ही छुड़ाया
राम की बाँछे खिली
सामने खड़ी सारी जनता से उनकी
खुद की रिश्तेदारी मिली
और
रावण बेचारा
सोच में पड़े खड़ा रह पड़ा
किसलिये और किस मुहूर्त में
राम के साथ रामराज्य की ओर
ऊपर से नीचे एक बार
और
अपनी जलालत देखने निकल पड़ा ?
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