वर्षों से
एक साथ
एक जगह
पर रह
रहे होते हैं
लड़ते दिख
रहे होते हैं
झगड़ते दिख
रहे होते हैं
कोई गुनाह
नहीं होता है
लोग अगर
चोर सिपाही
खेल रहे होते हैं
चोर
खेलने वाले
चोर नहीं हो
रहे होते हैं
और
सिपाही
खेलने वाले भी
सिपाही नहीं
हो रहे होते हैं
देखने वाले
नहीं देख
रहे होते हैं
अपनी आँखें
शुरु से
अंत तक
एक ही लेंस से
उसी चीज को
बार बार
अलग अलग
रोज रोज
सालों साल
पाँच साल
कई बार
अपने ही
एंगल से
देख रहे
होते हैं
खेल खेल में
चोर अगर कभी
सिपाही सिपाही
खेल रहे होते है
ये नहीं समझ
लेना चाहिये
जैसे चोर
सिपाही की
जगह भर्ती
हो रहे होते हैं
खेल में ही
सिपाही चोर
को चोर चोर
कह रहे होते है
खेल में ही
चोर कभी चोर
कभी सिपाही
हो रहे होते हैं
खबर चोरों के
सिपाहियों में
भर्ती हो जाने
की अखबार
में पढ़कर
फिर
किस लिये
‘उलूक’
तेरे कान
लाल और
खड़े हो
रहे होते हैं
खेल भावना
से देख
खेलों को
और समझ
रावणों में ही
असली
रामों के
दर्शन किसे
क्यों और कब
हो रहे होते हैं
ये सब खेलों
की मायाएं
होती हैं
देखने सुनने
पर न जा
खेलने वालों
के बीच और
कुछ नहीं
होता है
खेल ही हो
रहे होते हैं ।
चित्र साभार: bechdo.in
एक साथ
एक जगह
पर रह
रहे होते हैं
लड़ते दिख
रहे होते हैं
झगड़ते दिख
रहे होते हैं
कोई गुनाह
नहीं होता है
लोग अगर
चोर सिपाही
खेल रहे होते हैं
चोर
खेलने वाले
चोर नहीं हो
रहे होते हैं
और
सिपाही
खेलने वाले भी
सिपाही नहीं
हो रहे होते हैं
देखने वाले
नहीं देख
रहे होते हैं
अपनी आँखें
शुरु से
अंत तक
एक ही लेंस से
उसी चीज को
बार बार
अलग अलग
रोज रोज
सालों साल
पाँच साल
कई बार
अपने ही
एंगल से
देख रहे
होते हैं
खेल खेल में
चोर अगर कभी
सिपाही सिपाही
खेल रहे होते है
ये नहीं समझ
लेना चाहिये
जैसे चोर
सिपाही की
जगह भर्ती
हो रहे होते हैं
खेल में ही
सिपाही चोर
को चोर चोर
कह रहे होते है
खेल में ही
चोर कभी चोर
कभी सिपाही
हो रहे होते हैं
खबर चोरों के
सिपाहियों में
भर्ती हो जाने
की अखबार
में पढ़कर
फिर
किस लिये
‘उलूक’
तेरे कान
लाल और
खड़े हो
रहे होते हैं
खेल भावना
से देख
खेलों को
और समझ
रावणों में ही
असली
रामों के
दर्शन किसे
क्यों और कब
हो रहे होते हैं
ये सब खेलों
की मायाएं
होती हैं
देखने सुनने
पर न जा
खेलने वालों
के बीच और
कुछ नहीं
होता है
खेल ही हो
रहे होते हैं ।
चित्र साभार: bechdo.in