किसी को
कुछ समझाने के लिये कुछ नहीं लिखा जाता है
कुछ समझाने के लिये कुछ नहीं लिखा जाता है
हर कोई समझदार होता है
जो आता है अपने हिसाब से ही आता है
लिखे हुऐ पर अगर बहुत थोड़ा सा ही
लिखा हुआ नजर आता है
आने वाला किसने कह दिया
कुछ लिखने लिखाने के लिये ही आता है
इतनी बेशर्मी होना भी तो अच्छी बात नहीं होती है
नहीं लिखने पर किसी के कुछ भी
नाराज नहीं हुआ जाता है
तहजीब का देश है
पैरों के निशान तो होते ही हैं
मिट्टी उठा कर थोड़ी सी सर से लगाया ही जाता है
कोयले का ही एक प्रकार होता है हीरा भी
कोयले से कम से कम नमस्कार तो किया जाता है
‘उलूक’ मत उठाया कर ऐसे अजीब से सवाल
जवाब देना चाहे कोई तो भी नहीं दिया जाता है
ठेकेदारी करने के भी उसूल होते हैं
समझ लेना चहिये
लिखने लिखाने के टेंडर कहा होते हैं
कहाँ खोले जाते हैं
हर बात बताने वाला
एक मास्टर ही हो ऐसा जरूरी भी नहीं है
और माना भी जाता है ।
चित्र साभार: www.mycutegraphics.com