बहुत कुछ
दिख जाता है
सामने वाले
की आँखों में
बस देखने का
एक नजरिया
होना चाहिये
सभी कुछ
एक सा ही
होता है
जब आदमी
के सामने से
आदमी होता है
बस चश्मा
सामने वाले
की आँखों में
नहीं होना चाहिये
आँखों में आँखे
डाल कर देखने
की बात ही कुछ
और होती है
कितनी भी
गहराई हो
आँख तो बस
आँख होती है
तैरना भी हो
सकता है वहीं
डूबना भी हो
सकता है कहीं
बस डूबने मरने
की सोच कर
डरना नहीं चाहिये
निपटा दिया गया
कुछ भी काम
छुप नहीं पाता है
कितना भी ढकने
की कोशिश
कर ले कोई
छुपा नहीं पाता है
मुँह से राम
निकलता हुआ
सुनाई भी देता है
पर आँखों में
सीता हरण साफ
दिखाई दे जाता है
आँखों में देखना
शुरु कर ही दिया
हो अगर फिर
आँखों से आँखों
को हटाना
नहीं चाहिये
निकलती हैं
कहानियाँ
कहानियों
में से ही
बहुत
इफरात में
‘उलूक’
कितना भी
दफन कर ले
कोई जमीन
के नीचे
गहराई में
बस मिट्टी
को हाथों
से खोदने में
शर्माना
नहीं चाहिये ।
चित्र साभार: www.123rf.com
दिख जाता है
सामने वाले
की आँखों में
बस देखने का
एक नजरिया
होना चाहिये
सभी कुछ
एक सा ही
होता है
जब आदमी
के सामने से
आदमी होता है
बस चश्मा
सामने वाले
की आँखों में
नहीं होना चाहिये
आँखों में आँखे
डाल कर देखने
की बात ही कुछ
और होती है
कितनी भी
गहराई हो
आँख तो बस
आँख होती है
तैरना भी हो
सकता है वहीं
डूबना भी हो
सकता है कहीं
बस डूबने मरने
की सोच कर
डरना नहीं चाहिये
निपटा दिया गया
कुछ भी काम
छुप नहीं पाता है
कितना भी ढकने
की कोशिश
कर ले कोई
छुपा नहीं पाता है
मुँह से राम
निकलता हुआ
सुनाई भी देता है
पर आँखों में
सीता हरण साफ
दिखाई दे जाता है
आँखों में देखना
शुरु कर ही दिया
हो अगर फिर
आँखों से आँखों
को हटाना
नहीं चाहिये
निकलती हैं
कहानियाँ
कहानियों
में से ही
बहुत
इफरात में
‘उलूक’
कितना भी
दफन कर ले
कोई जमीन
के नीचे
गहराई में
बस मिट्टी
को हाथों
से खोदने में
शर्माना
नहीं चाहिये ।
चित्र साभार: www.123rf.com