वही
रोज रोज का रोना
रोज रोज का रोना
वही
संकरी सी गली
संकरी सी गली
उसी गली का अंधेरा कोना
एक
दूसरे को
टक्कर मार कर निकलते हुऐ लोग
कुछ कुत्ते कुछ गायें कुछ बैल
उसी से
सुबह शाम गुजरना
गोबर में जूते का फिसलना
मुंह बनाकर थूकते हुऐ
पैंट उठा कर संभलते हुऐ
उचक उचक कर चलना
कुछ सीधे
कुछ आड़े तिरछे लोगों का
उसी समय मिलना
इसी सब का
दस के सरल से पहाड़े की तरह
याद हो जाना
याद हो जाना
इसी
खिचड़ी को
बिना नमक तेल मसाले के
रोज का रोज
बिना पूछे
किसी के सामने परोस आना
बिना पूछे
किसी के सामने परोस आना
एक दो बार
देखने के बाद
सब समझ में आ जाना
खिचड़ी
खाना तो दूर
उसे देखने भी नहीं आना
पता ही नहीं चल पाना
गली का रोम रोम में घुस जाना
एक
चौड़ी साफ सुथरी
सड़क की कल्पना का सिरा
गली में ही खो जाना
गली में ही खो जाना
गली के
एक कोने से दूसरी ओर
उजाले में निकलने से पहले ही अंधेरा हो जाना
समझ में
आने तक बहुत देर हो जाना
गली का
व्यक्तित्व में ही शामिल हो जाना
गली का गली में जम जाना
उस दिन का इंतजार
कयामत का इंतजार हो जाना
पता चले जिस दिन
छोड़ दिया है
तूने भी 'उलूक'
छोड़ दिया है
तूने भी 'उलूक'
अब
उस गली से आना जाना ।
चित्र साभार: https://www.alamy.com/
उस गली से आना जाना ।
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