वही
रोज रोज का रोना
रोज रोज का रोना
वही
संकरी सी गली
संकरी सी गली
उसी गली का अंधेरा कोना
एक
दूसरे को
टक्कर मार कर निकलते हुऐ लोग
कुछ कुत्ते कुछ गायें कुछ बैल
उसी से
सुबह शाम गुजरना
गोबर में जूते का फिसलना
मुंह बनाकर थूकते हुऐ
पैंट उठा कर संभलते हुऐ
उचक उचक कर चलना
कुछ सीधे
कुछ आड़े तिरछे लोगों का
उसी समय मिलना
इसी सब का
दस के सरल से पहाड़े की तरह
याद हो जाना
याद हो जाना
इसी
खिचड़ी को
बिना नमक तेल मसाले के
रोज का रोज
बिना पूछे
किसी के सामने परोस आना
बिना पूछे
किसी के सामने परोस आना
एक दो बार
देखने के बाद
सब समझ में आ जाना
खिचड़ी
खाना तो दूर
उसे देखने भी नहीं आना
पता ही नहीं चल पाना
गली का रोम रोम में घुस जाना
एक
चौड़ी साफ सुथरी
सड़क की कल्पना का सिरा
गली में ही खो जाना
गली में ही खो जाना
गली के
एक कोने से दूसरी ओर
उजाले में निकलने से पहले ही अंधेरा हो जाना
समझ में
आने तक बहुत देर हो जाना
गली का
व्यक्तित्व में ही शामिल हो जाना
गली का गली में जम जाना
उस दिन का इंतजार
कयामत का इंतजार हो जाना
पता चले जिस दिन
छोड़ दिया है
तूने भी 'उलूक'
छोड़ दिया है
तूने भी 'उलूक'
अब
उस गली से आना जाना ।
चित्र साभार: https://www.alamy.com/
उस गली से आना जाना ।
चित्र साभार: https://www.alamy.com/
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (20-10-2013)
शेष : चर्चा मंचःअंक-1404 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
waah .....sundar prastuti .....
जवाब देंहटाएंआप की ये सुंदर रचना आने वाले सौमवार यानी 21/10/2013 कोकुछ पंखतियों के साथ नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है... आप भी इस हलचल में सादर आमंत्रित है...
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ।
बहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : धन का देवता या रक्षक
गली बड़ी तंग है ....हर कोई लड़ रहा, जिन्दगी की जंग है .....सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 13 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति..।
जवाब देंहटाएंगली भी उदास है
जवाब देंहटाएंशानदार खाका खींचा है आपने एक मध्यमवर्गीय मौहले की पुरानी गलियों का।
जवाब देंहटाएंतंज उभर कर आया है।
हमेशा की तरह शानदार लेखन ।
सादर।