लिखा हुआ हो कहीं पर भी हो कुछ भी हो
देख कर उसे पढ़ना और समझना
हमेशा जरूरी नहीं होता है
कुछ कुछ खराब हो चुकी आँखों को
खुली रख कर जोर लगा कर
साफ साफ देखने की कोशिश करना
कुछ दिखना कुछ नहीं दिखना
फिर दिखा दिखा सब दिख गया कहना
कहने सुनने सुनाने तक ही ठीक होता है
सुना गया सब कुछ कितना सही होता है
सुनाई देने के बाद सोचना जरूरी नहीं होता है
रोजाना कान की सफाई करना
ज्यादातर लोगों की आदत में वैसे भी
शामिल नहीं होता है
लिखने लिखाने से कुछ होना है
या नहीं होना है
लिखने वाले कौन है
और लिखे को पढ़ कर
लिखे पर सोचने
लिखे पर कुछ कहने वाले कौन हैं
या किसने लिखा है क्या लिखा है
लिख दिया है बताने वाले लोगों को
सारा लिखा पता होना जरूरी नहीं होता है
लेखक लेखिका का पोस्टर लगा कर
दुकान खोल लेने से
किताबें बिकना शुरु होती भी हैं
तब भी हर दुकान का रजिस्ट्रेशन
लेखक के नाम से हर जगह होना होता है
या नहीं होता है किसे पता होता है
लिखने लिखाने वाला
लिखने की दुकान के
शटर खोलने की आवाज के साथ उठता है
शटर खोलने की आवाज के साथ उठता है
शटर गिराने की आवाज के साथ सोता है
कौन जानता है
ऐसा भी होता है या नहीं होता है
अपनी अपनी किताबें संभाले हुए लोगों को
आदत पड़ चुकी होती है
अपना लिखा अपने आप पढ़नें की
खुद समझ कर खुद को खुद ही समझा ले जाना
खुदा भी समझ पाया है या नहीं खुदा ही जानता है
सब को पता हो ये भी जरूरी नहीं होता है
किसी के कुछ लिखे को नकार देने की हिम्मत
सभी में नहीं होती है
पूछने वाले पढ़ते हैं या नहीं
पता नहीं भी होता है
प्रश्न करना इतना जरूरी नहीं होता है
लिखना कुछ भी कहीं भी कभी भी
इतना जरूरी होता है
दुनियाँ चलती है चलती रहेगी
हर आदमी खरीफ की फसल हो
जरूरी कहीं थोड़ा सा होता है
कहीं जरा सा भी नहीं होता है
फारिग हो कर आया हर कोई कहे
जरूरी है जमाने के हिसाब से खेत में जाना
इस जमाने में अब जरूरी नहीं
थोड़ा नहीं बहुत ही खतरनाक होता है
सफेद पन्ना दिखाने के लिये रख
काफी है ‘उलूक’
लिखा लिखाया काला सब सफेद होता है ।
चित्र साभार: www.pinterest.com