फिर एक और दिसम्बर
तैयार खडा है जाने के लिए इस बार हर बार की तरह
तैयार खडा है जाने के लिए इस बार हर बार की तरह
फिर घिसे पिटे पन्ने तुड़े मुड़े कई बेकार के
कूड़ेदान में पड़े हैं बीमार की तरह
कूड़ेदान में पड़े हैं बीमार की तरह
किसे उठायें किसे पेश करें ज़रा बताइये तो हजूर
एक खरीददार की तरह
एक खरीददार की तरह
किसे आता है कह देना सटीक और बेबाक दिल खोल कर
दिलदार की तरह
दिलदार की तरह
उठती हैं लहरें
समुन्दर की सबके अन्दर
नदियाँ भी बहती हैं सरे बाजार की तरह
समुन्दर की सबके अन्दर
नदियाँ भी बहती हैं सरे बाजार की तरह
कोई समेट लेता है रेत के टीले भी
कोई फैला देता है खबर एक अखबार की तरह
कोई फैला देता है खबर एक अखबार की तरह
इतना आसान नहीं है हो लेना एक शायर सरे आम
किसी लबे बीमार की तरह
किसी लबे बीमार की तरह
ईलाज है हर लाईलाज का
कोशिश जरूरी है दिल से एक पागल तीमारदार की तरह
कोशिश जरूरी है दिल से एक पागल तीमारदार की तरह
फिर लौट के आना है दिसंबर को
गया है अभी अभी इमरोज एक जाँ-निसार की तरह
गया है अभी अभी इमरोज एक जाँ-निसार की तरह
‘उलूक’ फितरत से किसे मतलब है
कौन समेट रहा है यहां कुछ एक जमादार की तरह
कौन समेट रहा है यहां कुछ एक जमादार की तरह
चित्र साभार: https://pixabay.com/photos/cleaning-sweeper-housework-2650469/