कल परसों
का कूड़े दान
खाली नहीं
हो पाया
बंदरों ने
उत्पात मचा
मचा कर
दूरभाष का
तार ही
काट खाया
बहुत कुछ
पकाने का
ताजा सामान
एक ही दिन में
बासी हो आया
वैसे भी
यहाँ की इस
अजब गजब
दुनियाँ में
कहाँ पता
चलता है
कौन क्यूँ गया
यहाँ आकर
और
कौन क्यूँ कर
आँखिर यहाँ से
चले जाने के बाद
भी लौट लौट कर
फिर फिर यहाँ आया
बंदरों का देखिये
कितना अच्छा है
जहाँ मन किया
वहाँ से कूद लिये
जहाँ मन नहीं हुआ
खीसें दिखा कर
आवाज निकाल
सामने वाले को
बंदर घुड़कियाँ
दे दे कर डराया
कुछ करने की
तीव्र इच्छा कहीं
किसी कोने
में ही सही
होने वालों को
कर लेने से
वैसे भी कौन
है रोक पाया
बंदरों से ही
शुरु हुआ आदमी
बनने का क्रम
कितना आदमी
बना कितना
बंदर बचा
किसी ने किसी को
इस गणित को
नहीं समझाया
‘उलूक’ रात में
अवरक्त चश्मा
लगाने की सोचता
ही रह गया
ना दिन में
देख पाया
ना ही रात में
देख पाया ।
चित्र साभार: www.picturesof.net
का कूड़े दान
खाली नहीं
हो पाया
बंदरों ने
उत्पात मचा
मचा कर
दूरभाष का
तार ही
काट खाया
बहुत कुछ
पकाने का
ताजा सामान
एक ही दिन में
बासी हो आया
वैसे भी
यहाँ की इस
अजब गजब
दुनियाँ में
कहाँ पता
चलता है
कौन क्यूँ गया
यहाँ आकर
और
कौन क्यूँ कर
आँखिर यहाँ से
चले जाने के बाद
भी लौट लौट कर
फिर फिर यहाँ आया
बंदरों का देखिये
कितना अच्छा है
जहाँ मन किया
वहाँ से कूद लिये
जहाँ मन नहीं हुआ
खीसें दिखा कर
आवाज निकाल
सामने वाले को
बंदर घुड़कियाँ
दे दे कर डराया
कुछ करने की
तीव्र इच्छा कहीं
किसी कोने
में ही सही
होने वालों को
कर लेने से
वैसे भी कौन
है रोक पाया
बंदरों से ही
शुरु हुआ आदमी
बनने का क्रम
कितना आदमी
बना कितना
बंदर बचा
किसी ने किसी को
इस गणित को
नहीं समझाया
‘उलूक’ रात में
अवरक्त चश्मा
लगाने की सोचता
ही रह गया
ना दिन में
देख पाया
ना ही रात में
देख पाया ।
चित्र साभार: www.picturesof.net