उलूक टाइम्स: इंटरनेट
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बुधवार, 2 सितंबर 2015

कल का कबाड़ इंटरनेट बंद होने से कल शाम को रीसाईकिल होने से टप गया

अंदाज
नहीं आया
उठा है या
सो गया
कल
सारे दिन
इंटरनेट
जैसे
लिहाफ एक
मोटा सा
ओढ़ कर
उसी के
अंदर ही
कहीं
खो गया

इन तरंगों
में बैठ कर
उधर से
इधर को
वैसे भी
कुछ कम
ही आता है
और जाता है

बहुत
कोशिश
करने पर भी
इधर का कुछ
उधर धक्के दे दे
कर भेजने पर
भी नहीं गया

ये भी
कोई कहने
की बात है

अब
नहीं चला
तो नहीं चला

कई चीजें
खाली चलने
वाली ही नहीं
बल्की फर्राटा
दौड़ दौड़ने
वाली
कब से कहीं
जा कर खड़ी हो गई

उधर
तो कभी
किसी
खुली आँखों
वाले की नजर
भी नहीं गई

चल रही है
दौड़ रही है
की खबरें
बहुत सारी
अखबारों में
तब से और
ज्यादा बड़ी
आनी
शुरु हो गई

चलते
रहने से
कहीं पहुँच
जाने का
जमाना ही
अब नहीं
रह गया
पहुँच गया
पहुँच गया
फैलाना
ही फैलाने
के लिये
खड़े होकर
एक ही
जगह पर
बहुत हो गया

‘उलूक’
रोना
ठीक नहीं
इंटरनेट के
बंद हो जाने पर

कितना
खुश हुआ
होगा जमाना
कल

सोच
सोच कर
चटने
चटाने से
एक ही
दिन सही
बचा तो सही
बहुत कुछ
बहुत बहुत
बच गया ।

चित्र साभार: cliparts.co

बुधवार, 12 नवंबर 2014

बंदर ने किया जो भी किया अच्छा किया दिमाग कहीं भी नहीं लगाया

कल परसों
का कूड़े दान
खाली नहीं
हो पाया

बंदरों ने
उत्पात मचा
मचा कर
दूरभाष का
तार ही
काट खाया

बहुत कुछ
पकाने का
ताजा सामान
एक ही दिन में
बासी हो आया

वैसे भी
यहाँ की इस
अजब गजब
दुनियाँ में
कहाँ पता
चलता है

कौन क्यूँ गया
यहाँ आकर
और
कौन क्यूँ कर
आँखिर यहाँ से
चले जाने के बाद
भी लौट लौट कर
फिर फिर यहाँ आया

बंदरों का देखिये
कितना अच्छा है
जहाँ मन किया
वहाँ से कूद लिये

जहाँ मन नहीं हुआ
खीसें दिखा कर
आवाज निकाल
सामने वाले को
बंदर घुड़कियाँ
दे दे कर डराया

कुछ करने की
तीव्र इच्छा कहीं
किसी कोने
में ही सही

होने वालों को
कर लेने से
वैसे भी कौन
है रोक पाया

बंदरों से ही
शुरु हुआ आदमी
बनने का क्रम

कितना आदमी
बना कितना
बंदर बचा
किसी ने किसी को
इस गणित को
नहीं समझाया

‘उलूक’ रात में
अवरक्त चश्मा
लगाने की सोचता
ही रह गया

ना दिन में
देख पाया
ना ही रात में
देख पाया ।

चित्र साभार: www.picturesof.net

रविवार, 15 अप्रैल 2012

निखालिस बचत

सुनिये जी
कमप्यूटर
कालेज से लाये
आप को
जमाना हो गया

बदल के
दूसरा ला दीजिये
अब ये
पुराना हो गया

फ्रिज भी लाये
दस साल
से ज्यादा हो गये

नये माडल
मार्केट में आने
क्या बंद हो गये

शोध का क्षेत्र
ग्रीन कैमिस्ट्री
अब करवा लीजिये

कुछ नये
माइक्रोवेव ओवन
ही मंगवा लीजिये

गैस में
खाना पकाने पर
सिलैण्डर
लैब का मंगवाना
पड़ता है

खाली खाली
चपरासी से
काम करवाना
पड़ता है

रजिस्टर
कागज पेंसिल
भी नहीं लाये
आप कब से

कापियाँ
बच्चे से स्कूल में
लाने को कह रहे हैं तब से

इंटरनेट
कनेक्शन सुना है
सारे विभागों में
लगाये जा रहे हैं

डाउनलोडिंग
के पैसे भी
खाली खाली
सायबर कैफे में
बरबाद जा रहे हैं

प्राथमिक
शिक्षा वाले
कितने
समझदार है

मध्याहन
भोजन का जारी
उनका कारोबार है

उच्च शिक्षा
में भी अगर ये
योजना अगर
आप चलवाते

हम भी
कम से कम
महीने का
राशन बचा पाते ।