पीछे लौटते हैं
लिखने वाले
लिखते लिखते
कई बार
पुराने लिखे
लिखाये की
कतरनों में
चिपके शब्दों
की खुरचनों के
लोग मुरीद
हो रहे होते हैं
चल देते
हैं ढूँढने
मायने हो रहे
बहुत कुछ के
जमाने में
काम हो रहे
होते हैं जब
बहुत सलीके से
मगर अजीब से
कुछ हो रहे होते हैं
नींद में नहीं
होते हैं खुली
आँखों से दिन में
सपने देखने वाले
जानते हैं
अच्छी तरह
हरम के रास्ते
बहुत बेतरतीब
हो रहे होते हैं
याद नहीं आते हैं
या होते ही नहीं हैं
कुछ शब्द कुछ
कामों के लिये
करने वाले
शातिर
सारे के सारे
फकीर हो
रहे होते हैं
छोड़ भी दे
लिखने वाले
लिखते लिखते
कई बार
पुराने लिखे
लिखाये की
कतरनों में
चिपके शब्दों
की खुरचनों के
लोग मुरीद
हो रहे होते हैं
चल देते
हैं ढूँढने
मायने हो रहे
बहुत कुछ के
जमाने में
काम हो रहे
होते हैं जब
बहुत सलीके से
मगर अजीब से
कुछ हो रहे होते हैं
नींद में नहीं
होते हैं खुली
आँखों से दिन में
सपने देखने वाले
जानते हैं
अच्छी तरह
हरम के रास्ते
बहुत बेतरतीब
हो रहे होते हैं
याद नहीं आते हैं
या होते ही नहीं हैं
कुछ शब्द कुछ
कामों के लिये
करने वाले
शातिर
सारे के सारे
फकीर हो
रहे होते हैं
छोड़ भी दे
‘उलूक’
अकेले ढूँढना
शब्द
और मायने
अकेले ढूँढना
शब्द
और मायने
दिख रहे कुछ
हो रहे के
कई सारे
लोगों के
लोगों के
मिलकर
किये जा
रहे कुछ
किये जा
रहे कुछ
अजीब से
काम
काम
जब नजीर
हो रहे होते हैं ।
चित्र साभार: The Economic Times