दूध से रोज
ही नहाते हैं
दूध के धुले
भी कहलाते हैं
ऐसे
शुद्ध लोगों पर
ना जाने कैसे
आप जैसे
अशुद्ध लोग
मिलावटी होने
का इलजाम
लगा ले जाते हैं
काम तो
होते ही हैं
करने के लिये
किये भी जाते हैं
अब कौन से काम
जरूरी होते हैं
कौन से गैर जरूरी
इस बात को
काम करने वाले
ही बता पाते हैं
कुछ काम
अपने नहीं
भी होते है
पर दुधारू गाय
की तरह
पहचाने जाते हैं
कुछ काम
अपने ही
काम होते हैं
और
सींग मारने वाले
बैल माने जाते हैं
बेवकूफ लोग
सींग पकड़े
लटके नजर आते हैं
होशियार
गाय के
दूध से
रोज नहाते है
इसीलिये दूध के
धुले भी कहलाते हैं
‘उलूक’
देखता रहता है
गाय और
गाय के दूध
की धार को
उसकी
सोच में
बैलों की
सींगों के घाव
रोज
ही बनते हैं
और
रोज ही
हरे हो जाते हैं ।
चित्र साभार: www.clipartpanda.com
ही नहाते हैं
दूध के धुले
भी कहलाते हैं
ऐसे
शुद्ध लोगों पर
ना जाने कैसे
आप जैसे
अशुद्ध लोग
मिलावटी होने
का इलजाम
लगा ले जाते हैं
काम तो
होते ही हैं
करने के लिये
किये भी जाते हैं
अब कौन से काम
जरूरी होते हैं
कौन से गैर जरूरी
इस बात को
काम करने वाले
ही बता पाते हैं
कुछ काम
अपने नहीं
भी होते है
पर दुधारू गाय
की तरह
पहचाने जाते हैं
कुछ काम
अपने ही
काम होते हैं
और
सींग मारने वाले
बैल माने जाते हैं
बेवकूफ लोग
सींग पकड़े
लटके नजर आते हैं
होशियार
गाय के
दूध से
रोज नहाते है
इसीलिये दूध के
धुले भी कहलाते हैं
‘उलूक’
देखता रहता है
गाय और
गाय के दूध
की धार को
उसकी
सोच में
बैलों की
सींगों के घाव
रोज
ही बनते हैं
और
रोज ही
हरे हो जाते हैं ।
चित्र साभार: www.clipartpanda.com