दूध से रोज
ही नहाते हैं
दूध के धुले
भी कहलाते हैं
ऐसे
शुद्ध लोगों पर
ना जाने कैसे
आप जैसे
अशुद्ध लोग
मिलावटी होने
का इलजाम
लगा ले जाते हैं
काम तो
होते ही हैं
करने के लिये
किये भी जाते हैं
अब कौन से काम
जरूरी होते हैं
कौन से गैर जरूरी
इस बात को
काम करने वाले
ही बता पाते हैं
कुछ काम
अपने नहीं
भी होते है
पर दुधारू गाय
की तरह
पहचाने जाते हैं
कुछ काम
अपने ही
काम होते हैं
और
सींग मारने वाले
बैल माने जाते हैं
बेवकूफ लोग
सींग पकड़े
लटके नजर आते हैं
होशियार
गाय के
दूध से
रोज नहाते है
इसीलिये दूध के
धुले भी कहलाते हैं
‘उलूक’
देखता रहता है
गाय और
गाय के दूध
की धार को
उसकी
सोच में
बैलों की
सींगों के घाव
रोज
ही बनते हैं
और
रोज ही
हरे हो जाते हैं ।
चित्र साभार: www.clipartpanda.com
ही नहाते हैं
दूध के धुले
भी कहलाते हैं
ऐसे
शुद्ध लोगों पर
ना जाने कैसे
आप जैसे
अशुद्ध लोग
मिलावटी होने
का इलजाम
लगा ले जाते हैं
काम तो
होते ही हैं
करने के लिये
किये भी जाते हैं
अब कौन से काम
जरूरी होते हैं
कौन से गैर जरूरी
इस बात को
काम करने वाले
ही बता पाते हैं
कुछ काम
अपने नहीं
भी होते है
पर दुधारू गाय
की तरह
पहचाने जाते हैं
कुछ काम
अपने ही
काम होते हैं
और
सींग मारने वाले
बैल माने जाते हैं
बेवकूफ लोग
सींग पकड़े
लटके नजर आते हैं
होशियार
गाय के
दूध से
रोज नहाते है
इसीलिये दूध के
धुले भी कहलाते हैं
‘उलूक’
देखता रहता है
गाय और
गाय के दूध
की धार को
उसकी
सोच में
बैलों की
सींगों के घाव
रोज
ही बनते हैं
और
रोज ही
हरे हो जाते हैं ।
चित्र साभार: www.clipartpanda.com
आपकी इस पोस्ट को शनिवार, १३ जून, २०१५ की बुलेटिन - "अपना कहते मुझे हजारों में " में स्थान दिया गया है। कृपया बुलेटिन पर पधार कर अपनी टिप्पणी प्रदान करें। सादर....आभार और धन्यवाद। जय हो - मंगलमय हो - हर हर महादेव।
जवाब देंहटाएंआभार तुषार जी ।
हटाएंबढ़िया सर
जवाब देंहटाएंआभार दिव्या ।
हटाएं"कुछ काम अपने नहीं भी होते है पर दुधारू गाय
जवाब देंहटाएंकी तरह पहचाने जाते हैं " . राजनीति में अक्सर यही होता है
सुन्दर रचना
धन्यवाद मनोज ।
हटाएंआति सुन्दर
जवाब देंहटाएंआभार सम्पत जी ।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (14-06-2015) को "बेवकूफ खुद ही बैल हो जाते हैं" {चर्चा अंक-2006} पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
आभार आदरणीय ।
हटाएंवाह! क्या कहने
जवाब देंहटाएंआभार हिमकर जी ।
हटाएंBeautiful satire on politicians
जवाब देंहटाएंआभार अनुराग ।
हटाएंBadhiya.
जवाब देंहटाएंआभार अपर्णा जी ।
हटाएंसुन्दर रचना ..... सुशील जी
जवाब देंहटाएंआभार संजय जी ।
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