सार्थक लेखन की खोज में
निरर्थक भटकने चले जाना भी
शायद बुद्धिमानी होती है
बकवास कर रहा होता है बेवकूफ कोई कहीं
पीछा करते हुऐ आदतन खोजना अर्थ उसमें भी
फिर भी कई सूरमाओं की कहानी होती है
टटोलते हुऐ बिना देखे
खाली फटेटाट के झोले में हाथ डालकर
हाथ में आई हवा को बाहर निकाल कर
देखने की आदत बहुत पुरानी होती है
पता होता है खिसियाने की जगह समझाने की
कलाकारी उसके बाद ही दिखानी होती है
लिख रहा होता है बकवास
कह रहा होता है है बकवास
अपने दिन के हिसाब किताब को
शाम होते डायरी में छिपाने की बेताबी
‘उलूक’ को इसी तरह बतानी होती है
बैचेनी का आलम इधर हो ना हो
पता चल जाता है
किसी के लिखने की आदत से
उस पर ऊपर से अपना दर्द
होती है अंदर ही अंदर
किसी को बहुत ही परेशानी होती है ।
चित्र साभार: etc.usf.edu