रंगों को समझने बूझने में ही
कहाँ से कहाँ पहुँचा जाता है
पिछले साल ही तो लाल दिखा था एक रंग
एक ही साल में क्या से क्या हो जाता है
कल ही मिला था वही रंग होली में
लगा जैसे कुछ हरा
और कुछ नीला सा कहीं नजर आता है
और कुछ नीला सा कहीं नजर आता है
पूरा जीवन एक होली ही तो होती है
होली दर होली रंग के ऊपर
रंग की परत चढ़ाना भी सीख ही लिया जाता है
रंग की परत चढ़ाना भी सीख ही लिया जाता है
कई सालों से साथ रहते रहते भी नहीं पता चलता है
कोई
एक बेरंग
रंग अपना कितनी खूबी के साथ छिपा ले जाता है
रंग का
रंग रूप चुराना
बहुत ही आसानी से
किसी से भी सीखा जाता है
एक सीधा साधा रंग ही कभी
अपना रंग नहीं बदल पाता है
रंगो की दुनिया में ही बनते हैं इंद्रधनुष
रंगो को लेकर
छल कपट छीना झपट कर लेने वाला ही रंगबाज कहलाता है
छल कपट छीना झपट कर लेने वाला ही रंगबाज कहलाता है
प्रकृति
कभी नहीं छेड़ती है रंगो को
रंग खेलने का तरीका किसी को तो आता है
श्याम का रंग भी राधा ही जानती थी
'उलूक'
ताजिंदगी
रंगो को समझने की कोशिश में ही
एक उल्लू बन जाता है ।
चित्र साभार: http://www.govtedu.com/
ताजिंदगी
रंगो को समझने की कोशिश में ही
एक उल्लू बन जाता है ।
चित्र साभार: http://www.govtedu.com/