कहे को
समझने
समझने
के लिये
कहीं जाना
कहीं जाना
और
जा कर
समझने
की
कोशिश करना
समझ
में
आ गया
कुछ
की
गलतफहमी
हो जाने
को
समझ कर
समझे
हुऐ पर
कुछ
कहने
की
हिम्मत करना
सब के
बस की
बात
नहीं होती है
नहीं होती है
अपनी बात
कहने में
ही
बहुत जोर
लगाना पड़ता है
कम से कम
किसी एक
समझने वाले
को
कहे हुए
को
समझने वाले
को
कहे हुए
को
समझने
के लिये
के लिये
उसके बाद
कहीं से
बुलाना
भी
पड़ता है
भी
पड़ता है
कहने
की आदत
हो जाने
के बाद
के बाद
कोई
कहाँ
कहीं
किसी
के लिये
रुकता है
उसे
तो बस
कह
देना होता है
देना होता है
कोई फर्क
किसी को
कहीं भी
नहीं
पड़ता है
नहीं
पड़ता है
कहता रहे
कोई
ये
तो इसकी
हमेशा
की
आदत है
की
आदत है
कुछ
भी नहीं
कर
सकता है
सकता है
इसलिये
कुछ ना कुछ
कहीं
भी
जा कर
बक देता है
बक देता है
इस
तरह के
लोगों से
हर कोई
हर कोई
कन्नी
काटता है
काटता है
उसके
नजदीक भी
नहीं
फटकता है
फटकता है
ये बात
तब
और
महत्वपूर्ण
हो
हो
जाती है
जब
जब
किसी तरह के
किसी चीज
के
के
मूल्याँकन
करने वाले
दल
के
आने का
आने का
पता
चलता है
चलता है
जिसे
किसी
चीज के
बारे में
एक भी
सच
एक भी
सच
नहीं
बताना होता है
बताना होता है
जितना
हो सके
उतना
झूठ का
झूठ का
अँबार
लगाना होता है
लगाना होता है
बहुत कुछ
जो कहीं
भी
नहीं होता है
नहीं होता है
वही
और वही
बस
बताना
और
बताना
और
समझाना होता है
उलूक
दूर रखना
होता है
तेरे जैसे
तेरे जैसे
समझने
समझाने
वालों को
हमेशा
हमेशा
जब भी
कोई
पंडाल
कोई मजमा
कोई मजमा
तेरे
अपने ही
अपने ही
घर पर लगता है
समझ में
आ गया
किसी को
कुछ अगर
कुछ अगर
समझा कर
कोई
ए
कोई
ए++
कोई
बी
कोई
बी++
बी
कोई
बी++
सोचने
समझने
के
बाद
ऐसे ही
ऐसे ही
नहीं
रखता है ।
रखता है ।