शर्ट की
कम्पनी
सामने
से ही
पता चल
जाती है
पर
अंडरशर्ट
कौन सी
पहन कर
आता है
कहाँ पता
चल पाता है
अंदर
होती है
एक
पूरी बात
किसी के
पर वो
उसमें से
बहुत
थोडी़ सी
ही क्यों
बताता है
सोचो तो
अगर
इस को
गहराई से
बहुत से
समाधान
छोटा सा
दिमाग
ले कर
सामने
चला
आता है
जैसे
थोड़ी थोड़ी
पीने से
होता है
थोड़ा सा
नशा
पूरी
बोतल
पीने से
आदमी
लुढ़क
जाता है
शायद
इसीलिये
पूरी बात
किसी को
कोई नहीं
बताता है
थोड़ा थोड़ा
लिखता है
अंदर की
बात को
सफेद
कागज
पर अगर
कुछ
आड़ी तिरछी
लाइने ही
खींच पाता है
सामने वाला
बिना
चश्मा लगाये
अलग अलग
सबको
पहचान ले
जाता है
पूरी बात
लिखने की
कोशिश
करने से
सफेद
कागज
पूरा ही
काला हो
जाता है
फिर कोई
कुछ भी
नहीं पढ़
पाता है
इसलिये
थोड़ी
सी ही
बात कोई
बताता है
एक
समझदार
कभी भी
पूरी रामायण
सामने नहीं
लाता है
सामने वाले
को बस
उतना ही
दिखाता है
जितने में
उसे बिना
चश्में के
राम सीता
के साथ
हनुमान भी
नजर आ
जाता है
सामने
वाला जब
इतने से
ही भक्त
बना लिया
जाता है
तो
कोई
बेवकूफी
करके
पूरी
खिचड़ी
सामने
क्यों कर
ले आता है
दाल और
चावल के
कुछ दानों
से जब
किसी का
पेट भर
जाता है ।
कम्पनी
सामने
से ही
पता चल
जाती है
पर
अंडरशर्ट
कौन सी
पहन कर
आता है
कहाँ पता
चल पाता है
अंदर
होती है
एक
पूरी बात
किसी के
पर वो
उसमें से
बहुत
थोडी़ सी
ही क्यों
बताता है
सोचो तो
अगर
इस को
गहराई से
बहुत से
समाधान
छोटा सा
दिमाग
ले कर
सामने
चला
आता है
जैसे
थोड़ी थोड़ी
पीने से
होता है
थोड़ा सा
नशा
पूरी
बोतल
पीने से
आदमी
लुढ़क
जाता है
शायद
इसीलिये
पूरी बात
किसी को
कोई नहीं
बताता है
थोड़ा थोड़ा
लिखता है
अंदर की
बात को
सफेद
कागज
पर अगर
कुछ
आड़ी तिरछी
लाइने ही
खींच पाता है
सामने वाला
बिना
चश्मा लगाये
अलग अलग
सबको
पहचान ले
जाता है
पूरी बात
लिखने की
कोशिश
करने से
सफेद
कागज
पूरा ही
काला हो
जाता है
फिर कोई
कुछ भी
नहीं पढ़
पाता है
इसलिये
थोड़ी
सी ही
बात कोई
बताता है
एक
समझदार
कभी भी
पूरी रामायण
सामने नहीं
लाता है
सामने वाले
को बस
उतना ही
दिखाता है
जितने में
उसे बिना
चश्में के
राम सीता
के साथ
हनुमान भी
नजर आ
जाता है
सामने
वाला जब
इतने से
ही भक्त
बना लिया
जाता है
तो
कोई
बेवकूफी
करके
पूरी
खिचड़ी
सामने
क्यों कर
ले आता है
दाल और
चावल के
कुछ दानों
से जब
किसी का
पेट भर
जाता है ।