उलूक टाइम्स: भक्त
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रविवार, 14 सितंबर 2014

इस पर लिख उस पर लिख कह देने से ही कहाँ दिल की बात लिखी जाती है



डबलरोटी
और
केक 
की
लड़ाई
लड़ने वालों 
की
सोचते सोचते 

तेरी
खुद की सोच 
क्यों
घूम जाती है 

रोटी
मिल तो 
रही है तुझको 
क्या
वो भी तुझसे 
नहीं
खाई जाती है 

कल
लिखवा गया 
कुछ
उस्तादों के 
उस्ताद
और
उसके 
धूर्त शागिर्दों पर 

आज
बाबाओं और 
भक्तों पर
कुछ 
लिखने की
तेरी 
फरमाईश
सामने 
से आ जाती है 

बदल रही है 
दुनियाँ
बड़ी तेजी से 

घर घर में
खुलती 
बाजार पर
तेरी 
नजर
क्यों
फिर 
भी नहीं जाती है 

आदमी
बेच रहा है 
आज आदमी को 

इंसानियत
सबसे 
आसानी से 
जगह जगह 
बेची जाती है 

बाबा चेले गुरु शिष्य 
हुआ करते होंगे 
किसी जमाने 
की
परम्पराऐं 

आज
हर किसी की 
नजर
हजारों करोड़ों 
की
सम्पति होने 
पर ही
भक्तिभाव
और 
चमक दिखाती है 

ग्रंथ
श्रद्धा के प्रतीक 
हुआ करेंगे
सोच कर 
लिख गये योगी 

देखते
आज सामने 
से ही अपने 
मनन चिंतन
की 
सीमाओं को तोड़कर 

कैसे पाठकगण 
उपभोक्ता

और 
कल्पनाऐं
उपभोग 
की
वस्तु हो जाती हैं 

अच्छी सोच की 
कोपलें भी हैं 
बहुत सी डालों पर 
जैसे एक तेरी 

हर जगह अलग अलग 
रोज ही खिलती हैं
और 
रोज के रोज ही 
मुरझा भी जाती हैं 

‘उलूक’ देखता है 
सब कुछ अंधेरे में 

रोज का रोज 
लिखना लिखाना 
उसके लिये

बस एक 
आवारगी
हो जाती है ।
  
चित्र साभार: http://www.illustrationsof.com/

सोमवार, 20 अगस्त 2012

पूरी बात

शर्ट की
कम्पनी
सामने
से ही
पता चल
जाती है
पर
अंडरशर्ट
कौन सी
पहन कर
आता है
कहाँ 
पता 
चल पाता है

अंदर
होती है
एक
पूरी बात
किसी के
पर वो
उसमें से
बहुत
थोडी़ सी
ही क्यों
बताता है

सोचो तो
अगर
इस को
गहराई से
बहुत से
समाधान
छोटा सा
दिमाग
ले कर
सामने
चला
आता है

जैसे
थोड़ी 
थोड़ी
पीने से
होता है
थोड़ा सा
नशा
पूरी
बोतल
पीने से
आदमी
लुढ़क
जाता है

शायद
इसीलिये
पूरी बात
किसी को
कोई नहीं
बताता है

थोड़ा थोड़ा
लिखता है
अंदर की
बात को
सफेद
कागज
पर अगर
कुछ
आड़ी तिरछी
लाइने ही
खींच पाता है

सामने वाला
बिना
चश्मा लगाये
अलग अलग
सबको
पहचान ले
जाता है

पूरी बात
लिखने की
कोशिश
करने से
सफेद
कागज
पूरा ही
काला हो
जाता है

फिर कोई
कुछ भी
नहीं पढ़
पाता है

इसलिये
थोड़ी
सी ही
बात कोई
बताता है

एक
समझदार
कभी भी
पूरी रामायण 
सामने नहीं
लाता है

सामने वाले
को बस
उतना ही
दिखाता है
जितने में
उसे बिना
चश्में के
राम सीता
के साथ
हनुमान भी
नजर आ
जाता है

सामने
वाला जब
इतने से
ही भक्त
बना लिया
जाता है

तो

कोई
बेवकूफी
करके
पूरी
खिचड़ी
सामने
क्यों कर
ले आता है
दाल और
चावल के
कुछ दानों
से जब
किसी का
पेट भर
जाता है ।