रोज खुलती हैं खिड़कियाँ
कुछ हवा होती है कुछ धूल होती है
झिर्रियों से झांकती है जिंदगी
सांस होती है फिजूल होती है
लिखना भूल जाने का मतलब
लिखना नहीं आना नहीं होता है
लिखना नहीं आना नहीं होता है
कुछ
अहसास लिख जाते है
कुछ को लिख दिये का अहसास होता है
अहसास लिख जाते है
कुछ को लिख दिये का अहसास होता है
अजीब मौसम हैं अजीब बारिशें है
बादल कहीं नहीं होता है
बादल कहीं नहीं होता है
इतना बरसता है आदमी
पानी पानी हो शर्मसार होता है
पानी पानी हो शर्मसार होता है
उसको इसका सब पता होता है
इसको उसका सब पता होता है
इसको उसका सब पता होता है
अपने पते पर लापता लोगों को
बस अपना कुछ पता नहीं होता है
बस अपना कुछ पता नहीं होता है
इधर मुक्ति पालो उधर बंधुआ हो लेती है सोच
सबको पता होता है
सबको पता होता है
खुले दिमाग मरीचिका होते हैं
कोई कहता नहीं है मगर गुलाम होता है
कोई कहता नहीं है मगर गुलाम होता है
सनद रहेगी वक्त पर काम भी आयेगी
बस लिखना जरुरी होता है
बस लिखना जरुरी होता है
रेत है हर तरफ
आंधी में लिखा सब कुछ सामने से ही उड़ा होता है
आंधी में लिखा सब कुछ सामने से ही उड़ा होता है
वो रेतते हैं गले गले भरे शब्दों के
शराफत का यही कायदा होता है
शराफत का यही कायदा होता है
खून से लिखते हैं आजादी
जर्रे जर्रे में जिसने सब हलाल किया होता है
जर्रे जर्रे में जिसने सब हलाल किया होता है
खौलता है तो क्या होता है खौलने दे
कुछ नहीं कहीं होता है
कुछ नहीं कहीं होता है
देख और देखता चल 'उलूक' सब देख रहे हैं
बस कुछ देखना ही होता है |
चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/
बस कुछ देखना ही होता है |
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