दो ही दिन हुऐ हैं
जश्ने आजादी का मनाये हुऐ
हे कृष्ण
आज तेरा जन्म दिन
मनाने का अवसर हम पा रहे हैं
दिन भर का व्रत करने के बाद
शाम होते होते दावत फलाहार की
तुझे भोग लगा कर खुद खा
तुझे भोग लगा कर खुद खा
और बाकी को साथ में भी खिला पिला रहे हैं
दादा दादी माँ पिताजी से बचपन में सुनी कहानियाँ
याद साथ साथ करते भी जा रहे हैं
कितने मारे कितने तारे गिनती करने में
आज भी याद नहीं आ पा रहे हैं
सभी का हो चुका था संहार सुना था
कुछ बचे थे शायद भले लोग
कुछ गायें कुछ ग्वाले कुछ बाँसुरी की धुन और तानें
आज भी सुन और सुना रहे हैं
आज ही की बात नहीं है कृष्ण
तेरे बारे में सुनते सुनते
अब खुद अपने जाने के दिनों के
बारे में भी कुछ सोचते जा रहे हैं
नहीं हुई भेंट तुझसे कहीं घर में मंदिर में
रास्ते में आदमी ही आदमी आते जाते भीड़ दर भीड़
हम खुद ही खोते जा रहे हैं
कंस से लेकर शकुनि ही शकुनि
घर से लेकर मंदिर तक में नजर आ रहे हैं
गीता देकर गये थे तुम अपनी याद दिलाने के लिये
पाप करने के बाद शपथ उसी पर आज
हम हाथ रख कर खा रहे हैं खिला रहे हैं
हैप्पी बर्थ डे कृष्ण जी कहने हमेशा हर साल
याद कर लेना तुम भी सभी संहार किये गये
उस समय के और इस समय के
हो चुके तुम्हारे भक्त गण
उस समय के और इस समय के
हो चुके तुम्हारे भक्त गण
मेरे साथ मेरे आस पास मिलकर
हरे कृष्ण हरे कृष्ण
हरे कृष्ण हरे कृष्ण
गाते गाते तालियाँ भी साथ में बजा रहे हैं ।