काला चश्मा लगा कर सपने में अपने
आज बहुत ज्यादा इतरा रहा है
शिक्षक दिवस की छुट्टी है खुली मौज मना रहा है
कुछ कुछ खुद समझ रहा है
कुछ कुछ खुद को समझा रहा है
समझने के लिये अपना गणित
खुद अपना हिसाब किताब लगा रहा है
सपने देख रहा है देखिये जरा क्या क्या देख पा रहा है
सरकारी आदेशों की भाषाओं को तोड़ मरोड़ कर
सरकार को ही आईना दिखा रहा है
कुछ शिष्यों की इस दल में भर्ती
कुछ को उस दल में भरती करा रहा है
बाकी बचे खुचों को वामपंथी बन जाने का पाठ पढ़ा रहा है
अपनी कुर्सी गद्दीदार बनवाने की
सीड़ी नई बना रहा है
ऊपर चढ़ने के लिये ऊपर देने के लिये
गैर लेखा परीक्षा राशि ठिकाने लगा रहा है
रोज इधर से उधर रोज उधर से इधर
आने जाने के लिये चिट्ठियाँ लिखवा रहा है
डाक टिकट बचा दिखा पूरी टैक्सी का टी ऐ डी ऐ बनवा रहा है
सरकारी दुकान के अंदर अपनी प्राईवेट दुकान धड़ल्ले से चला रहा है
किराया अपने मित्रों के साथ मिल बांट कर खुल्ले आम खा रहा है
पढ़ने पढाने का मौसम तो आ ही नहीं पा रहा है
मौसम विभाग की खबर है कुछ ऐसा फैलाया जा रहा है
कक्षा में जाकर खड़े होना शान के खिलाफ हो जा रहा है
परीक्षा साल भर करवाने का काम ऊपर का काम हो जा रहा है
इसी बहाने से
तू इधर आ मैं उधर आऊँ गिरोह बना रहा है
कापी जाँचने का कमप्यूटर जैसा होना चाह रहा है
हजारों हजारों चुटकी में मिनटों में निपटा रहा है
सूचना देने में कतई भी नहीं घबरा रहा है
इस पर उसकी उस पर इसकी दे जा रहा है
आर टी आई अपनी मखौल खुद उड़ा रहा है
शोध करने करवाने का ईनाम मंगवा रहा है
यू जी सी के ठेंगे से ठेंगा मिला रहा है
सातवें वेतन आयोग के आने के दिन गिनता जा रहा है
पैंसठ की सत्तर हो जाये अवकाश की उम्र
गणेश जी को पाव लड्डू खिला रहा है
किसे फुरसत है शिक्षक दिवस मनाने की
पुराना राधाकृष्णन सोचने वाला घर पर मना रहा है
‘उलूक’ व्यस्त है सपने में अपने
उससे आज बाहर ही नहीं आ पा रहा है
कृष्ण जी की कौन सोचे ऐसे में
जन्माष्टमी मनाने के लिये
शहर भर केकबूतरों से कह जा रहा है
सपने में एक सपना देख देख खुद ही निहाल हुऐ जा रहा है
'उलूक' उवाच है किसे मतलब है कहने में क्या जा रहा है ।
चित्र साभार: www.clipartsheep.com