आखिर
कितना
और
कब तक
इतना
एक
चेहरा
बदसूरत सा
लिखेगा
बहुत सुन्दर
लिखने
का
रिवाज है
लिखे
लिखाये
पर
यहाँ
लिख देने का
कोई
अगर
लिख भी देगा
तो भी
वैसा ही
तो
और
वही कुछ
तो
लिखेगा
लिखे
को
लिखे के
ऊपर रखकर
कब तक
नापने
का
सिलसिला
रखेगा
लिखने
के
पैमाने
कुछ
के पास हैं
नापने
के
पैमाने
नापने
वाला ही
तो
अपने
पास रखेगा
लिखने
का
मिलता है
कुछ
किसी को
किसी
को
लिखे को
फैलाने
का
मिलता है
कुछ
हर
किसी की
आँख
अपनी तरह
से
देखेगी
दूरबीन
तारे देखने
की हो
तो
कैसे
चाँद
उसमें
किसी को
साथ में
कैसे
और क्यों
कर के
दिखेगा
कुछ नहीं
लिखने वालों
की
सोच
अच्छी बनी
रहती है
हमेशा
जो
लिखेगा
उसके लिखे
पर ही
तो
उसका चेहरा
पूरा
ना सही
थोड़ा सा
तो
कहीं
किसी
कोने में से
कम से कम
झाँकता
सा
तो
दिखेगा
सालों
निकल जाते हैं
सोचने में
सच
अपना
‘उलूक’
सच में
किसी दिन
एक सच
कोई
कहीं
तो
लिखेगा
झूठ
लिखने
का
नशा
बहुत
जियादा
कमीना है
उस के
नशे से
निकले
तो
सही
कोई
तब
जाकर
तो
कोई
एक
झूठा सा
सही
सच
कहीं और
किसी
जगह
जा
कर के
तो
लिखेगा।
चित्र साभार: http://clipart-library.com
कितना
और
कब तक
इतना
एक
चेहरा
बदसूरत सा
लिखेगा
बहुत सुन्दर
लिखने
का
रिवाज है
लिखे
लिखाये
पर
यहाँ
लिख देने का
कोई
अगर
लिख भी देगा
तो भी
वैसा ही
तो
और
वही कुछ
तो
लिखेगा
लिखे
को
लिखे के
ऊपर रखकर
कब तक
नापने
का
सिलसिला
रखेगा
लिखने
के
पैमाने
कुछ
के पास हैं
नापने
के
पैमाने
नापने
वाला ही
तो
अपने
पास रखेगा
लिखने
का
मिलता है
कुछ
किसी को
किसी
को
लिखे को
फैलाने
का
मिलता है
कुछ
हर
किसी की
आँख
अपनी तरह
से
देखेगी
दूरबीन
तारे देखने
की हो
तो
कैसे
चाँद
उसमें
किसी को
साथ में
कैसे
और क्यों
कर के
दिखेगा
कुछ नहीं
लिखने वालों
की
सोच
अच्छी बनी
रहती है
हमेशा
जो
लिखेगा
उसके लिखे
पर ही
तो
उसका चेहरा
पूरा
ना सही
थोड़ा सा
तो
कहीं
किसी
कोने में से
कम से कम
झाँकता
सा
तो
दिखेगा
सालों
निकल जाते हैं
सोचने में
सच
अपना
‘उलूक’
सच में
किसी दिन
एक सच
कोई
कहीं
तो
लिखेगा
झूठ
लिखने
का
नशा
बहुत
जियादा
कमीना है
उस के
नशे से
निकले
तो
सही
कोई
तब
जाकर
तो
कोई
एक
झूठा सा
सही
सच
कहीं और
किसी
जगह
जा
कर के
तो
लिखेगा।
चित्र साभार: http://clipart-library.com