डस्टबिन
मतलब कूड़ेदान
अब
कूड़ा कौन दान करता है
और
कौन ग्रहण
ये तो पता नहीं
पर बजबजा जाता है
ढक्कन
ऊपर उठना शुरु हो जाता है
कितनी भी
कोशिश करो
ना जिक्र किया जाये
कुछ अलग से अच्छा सा कहा जाये
पर कैसे
देखना सुनना महसूस करना
बन्द ही नहीं किया जाता है
कुछ अच्छा
खुद ही कूड़े से परेशान
किसी किनारे से निकल कर
शुद्ध हवा पानी खोजने के लिये
रेगिस्तान में आज के निकल जाता है
उस अच्छे के हाथ कुछ लगता है पता नहीं
पर
सामने से बचे हुऐ कूड़े पर बहुत प्यार आता है
और
लाजवाब कहलाये जाने लायक
लाजवाब सुन्दर बहुत खूब लिख लिया जाता है
लेखक
छंद बंद छोटी कहानी लम्बी कविता
समीक्षा टिप्पणी
साहित्य की
लगी हुई कतार को कूँद फाँद कर
हवा हवाई गुब्बारे बैखौफ उड़ाता है
उसे ना शर्म आती है
ना किसी का लिहाज रह जाता है
कौन समझाये
मूल्यों को समझना परखना लागू करना
स्वयं के ऊपर
इतना आसान नहीं हो पाता है
जितना काले श्यामपट के ऊपर
सफेद चॉक से लकीरें खींच कर लिख लिखा कर
गीले कपड़े से तुरत फुरत पोंछ भी दिया जाता है
लिखने लिखाने पढ़ने पढाने का भी संविधान है ‘उलूक’
पता नहीं किसलिये
तुझे सीमायें तोड़ने में मजा आता है
कोशिश तो कर किसी दिन
दिमाग आँख नाक मुँह बंद करना
और फिर
बिना सोचे समझे कुछ लिखने का
देख
फिर अपने लिखे लिखाये को
बस
देख कर ही
कितना नशा होता है
और
कितना मजा आता है।
मतलब कूड़ेदान
अब
कूड़ा कौन दान करता है
और
कौन ग्रहण
ये तो पता नहीं
पर बजबजा जाता है
ढक्कन
ऊपर उठना शुरु हो जाता है
कितनी भी
कोशिश करो
ना जिक्र किया जाये
कुछ अलग से अच्छा सा कहा जाये
पर कैसे
देखना सुनना महसूस करना
बन्द ही नहीं किया जाता है
कुछ अच्छा
खुद ही कूड़े से परेशान
किसी किनारे से निकल कर
शुद्ध हवा पानी खोजने के लिये
रेगिस्तान में आज के निकल जाता है
उस अच्छे के हाथ कुछ लगता है पता नहीं
पर
सामने से बचे हुऐ कूड़े पर बहुत प्यार आता है
और
लाजवाब कहलाये जाने लायक
लाजवाब सुन्दर बहुत खूब लिख लिया जाता है
लेखक
छंद बंद छोटी कहानी लम्बी कविता
समीक्षा टिप्पणी
साहित्य की
लगी हुई कतार को कूँद फाँद कर
हवा हवाई गुब्बारे बैखौफ उड़ाता है
उसे ना शर्म आती है
ना किसी का लिहाज रह जाता है
कौन समझाये
मूल्यों को समझना परखना लागू करना
स्वयं के ऊपर
इतना आसान नहीं हो पाता है
जितना काले श्यामपट के ऊपर
सफेद चॉक से लकीरें खींच कर लिख लिखा कर
गीले कपड़े से तुरत फुरत पोंछ भी दिया जाता है
लिखने लिखाने पढ़ने पढाने का भी संविधान है ‘उलूक’
पता नहीं किसलिये
तुझे सीमायें तोड़ने में मजा आता है
कोशिश तो कर किसी दिन
दिमाग आँख नाक मुँह बंद करना
और फिर
बिना सोचे समझे कुछ लिखने का
देख
फिर अपने लिखे लिखाये को
बस
देख कर ही
कितना नशा होता है
और
कितना मजा आता है।
चित्र साभार: https://www.rediff.com/getahead/slide-show/
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