बावरे
की कलम
बेजान
जरूर होती है
पर
लिखने पर
आती है तो
बावरे की
तरह ही
बावरी हो
जाती है
बावरों
की दुनियाँ के
बावरेपन को
बावरे ही
समझ पाते हैं
जो बावरे
नहीं होते हैं
उनको
कलम से
कुछ लेना देना
नहीं होता है
जो भी
लिखवाते हैं
दिमाग से
लिखवाते हैं
दिमाग
वाले ही उसे
पढ़ना भी
चाहते हैं
बावरों
का लिखना
और दिमाग
का चलना
दोनों
एक समय में
एक साथ
एक जगह
पर नहीं
पाये जाते हैं
बावरा होकर
बावरी कलम से
जब लिखना शुरु
करता है
एक बावरा
कलम
के पर भी
बावरे हो कर
निकल जाते हैं
उड़ना
शुरु होता है
लिखना भी
बावरा सा
क्या लिखा है
क्यों लिखा है
किस पर
लिखा है
पढ़ने वाले
बावरे
बिना पढ़े भी
मजमून को
भाँप जाते हैं
‘उलूक’
घिसा
करता है
कलम को
रोज पत्थर पर
पैना
कुछ लिख
ले जाने
के आसार
फिर भी कहीं
नजर नहीं आते हैं ।
चित्र साभार: www.clipartpanda.com
की कलम
बेजान
जरूर होती है
पर
लिखने पर
आती है तो
बावरे की
तरह ही
बावरी हो
जाती है
बावरों
की दुनियाँ के
बावरेपन को
बावरे ही
समझ पाते हैं
जो बावरे
नहीं होते हैं
उनको
कलम से
कुछ लेना देना
नहीं होता है
जो भी
लिखवाते हैं
दिमाग से
लिखवाते हैं
दिमाग
वाले ही उसे
पढ़ना भी
चाहते हैं
बावरों
का लिखना
और दिमाग
का चलना
दोनों
एक समय में
एक साथ
एक जगह
पर नहीं
पाये जाते हैं
बावरा होकर
बावरी कलम से
जब लिखना शुरु
करता है
एक बावरा
कलम
के पर भी
बावरे हो कर
निकल जाते हैं
उड़ना
शुरु होता है
लिखना भी
बावरा सा
क्या लिखा है
क्यों लिखा है
किस पर
लिखा है
पढ़ने वाले
बावरे
बिना पढ़े भी
मजमून को
भाँप जाते हैं
‘उलूक’
घिसा
करता है
कलम को
रोज पत्थर पर
पैना
कुछ लिख
ले जाने
के आसार
फिर भी कहीं
नजर नहीं आते हैं ।
चित्र साभार: www.clipartpanda.com