पिछले महीने से
निकल रहे हैं जलूस मेरे शहर में
क्यों निकल रहे हैं
कोई पूछने वाला नहीं है
ना ही कोई अखबार में कोई खबर है
जिलाधीश भी सो रहा है
थानेदार भी बहुत होशियार है
निमंत्रण मिला है
मुजफ्फर नगर काण्ड के
खलनायकों पर बहस करने का
बहुत पुरानी बात हो गई है सुनने को
अभी की बात को कौन तैयार है
नहीं देखा मंजर इस तरह का
अभी तक की जिंदगी में कभी
लोग कह रहे हैं अच्छे दिन हैं अच्छी बयार है
बुलाया गया है निमंत्रण भी है
मुजफ्फर नगर काण्ड के खलनायक
व उत्तराखण्ड पर बहस के लिये
व उत्तराखण्ड पर बहस के लिये
बतायें जरा अपने घर के काण्डों पर
बात करने को कौन तैयार है
माना कि ‘उलूक’
को अंधों मे गिना जाता है
फिर भी दिखता है
कोने से कहीं उसको भी कुछ
कहना ही है मानकर
कि कहना है और कहना भी बेकार है।
चित्र साभार: www.anninvitation.com