खुजली
सब को होती है
लिखते
सब नहीं हैं
बिजली
सब लिखना चाहते हैं
वो भी
चार सौ चालीस वोल्ट की
झटके
सबको लगते हैं
दिखाते नहीं हैं
बस
बताते जरूर हैं
झटके
लगते हैं जोर के
सामने वाले को
कुछ भी
धीरे से कहने के बाद
बंद होने
के कगार पर
लिखना लिखाना चला जाये
बुरी बात
नहीं होती है
कौन सा
बकवास को लिखना पढना
मान लेने वाले
विद्वानों की गिनती करनी है
एक दो
निकल भी गये तो
सिद्ध करवा दिया जा सकता है
निरे बेवकूफ हैं
आध्यात्मिक लिखा हुआ
पढते समय
लेखक खुजलाता हुआ
सोच मे आ जाये
कौन सी बुरी बात है
होता है
होता रहेगा
जो लिखा दिखता है सामने
वो किसी एक घर पर
रोने वाले ने लिखा है
महीना डेढ़ से बंद लिखना
नहीं बता पाता है
लिखने वाला
कितना कितना खुजलाता है
अब
खुजलाना भी
बहुत बड़ा हो गया है
समझा और माना जाता है
जब लिखने वाला
लिखने ही नहीं आ पाता है
एक हाथ से लिखना
और दूसरे से
खुजला लेने की
महारत भी पायी जाती है
पर ना तो दिखाई जाती है
ना ही बताई जाती है
कोई बात नहीं
लिखना भी
जारी रहना जरूरी है
और खुजली को
खुजलाना भी जरूरी है
खुजलाइये प्रेम से
एक हाथ से
और लिखने भी आ जाइये
दूसरे हाथ से
‘उलूक’
ठीक बात नहीं है
खुजलाने के चक्कर में
लिख जाना भूल जाना
नया साल
नयी खुजलियाँ लाये
नयी विधियाँ पैदा की जायें
खुजली हो भी
और खुजली पर
कुछ लिख दिया जाये
खुजली जिंदाबाद
लिखना रहे आबाद
इसी तरह
फिर एक नये साल का हो
खुजलाता हुआ आगाज।
चित्र साभार: https://www.clipartmax.com/
सब को होती है
लिखते
सब नहीं हैं
बिजली
सब लिखना चाहते हैं
वो भी
चार सौ चालीस वोल्ट की
झटके
सबको लगते हैं
दिखाते नहीं हैं
बस
बताते जरूर हैं
झटके
लगते हैं जोर के
सामने वाले को
कुछ भी
धीरे से कहने के बाद
बंद होने
के कगार पर
लिखना लिखाना चला जाये
बुरी बात
नहीं होती है
कौन सा
बकवास को लिखना पढना
मान लेने वाले
विद्वानों की गिनती करनी है
एक दो
निकल भी गये तो
सिद्ध करवा दिया जा सकता है
निरे बेवकूफ हैं
आध्यात्मिक लिखा हुआ
पढते समय
लेखक खुजलाता हुआ
सोच मे आ जाये
कौन सी बुरी बात है
होता है
होता रहेगा
जो लिखा दिखता है सामने
वो किसी एक घर पर
रोने वाले ने लिखा है
महीना डेढ़ से बंद लिखना
नहीं बता पाता है
लिखने वाला
कितना कितना खुजलाता है
अब
खुजलाना भी
बहुत बड़ा हो गया है
समझा और माना जाता है
जब लिखने वाला
लिखने ही नहीं आ पाता है
एक हाथ से लिखना
और दूसरे से
खुजला लेने की
महारत भी पायी जाती है
पर ना तो दिखाई जाती है
ना ही बताई जाती है
कोई बात नहीं
लिखना भी
जारी रहना जरूरी है
और खुजली को
खुजलाना भी जरूरी है
खुजलाइये प्रेम से
एक हाथ से
और लिखने भी आ जाइये
दूसरे हाथ से
‘उलूक’
ठीक बात नहीं है
खुजलाने के चक्कर में
लिख जाना भूल जाना
नया साल
नयी खुजलियाँ लाये
नयी विधियाँ पैदा की जायें
खुजली हो भी
और खुजली पर
कुछ लिख दिया जाये
खुजली जिंदाबाद
लिखना रहे आबाद
इसी तरह
फिर एक नये साल का हो
खुजलाता हुआ आगाज।
चित्र साभार: https://www.clipartmax.com/