एक लड़की
बरतन धो के
परिवार चलाती है
गाँव के
उसी घर से
एक लड़की
एक लड़के
के साथ
भाग जाती है
खाने के
जुगाड़ में
बाप
हाड़ तोड़ता
चला जाता है
पता नहीं
बच्ची के हाथ में
मोबाइल
क्यों दे जाता है
पहाड़ के बच्चों में
एक नया खेल
चल रहा है
मोबाइल रखना
और
मोटरसाईकिल पे चलना
नये भारतीय मूल्यों की
रामायण रच रहा है
दो कदम
चल नहीं सकते
पहाड़ के नौनीहाल
जो कभी सेना में जाते थे
मेडिकल मे
अन्फिट हो रहे है
वो जो गुटका खाते थे
लड़के मोटरसाईकिल
लड़किया स्कूटी में ही जाते हैं
घर के नीचे से उसमें
वो सब्जी लाते हैं
दो किलोमीटर
की त्रिज्या के शहर मेंं
पचास चक्कर लगाते हैं
बरतन
धोने वाली लड़की
कल से काम पे
नहीं जाती है
बहन ढूढने को बेचारी
थाने के चक्कर लगाती है
गाँव गाँव में पहाड़ के
रोजगार नहीं मिल पाता है
पत्थर तोड़ने भी आदमी
पैदल दूर शहर में जाता है
खाने को रोटी तब भी
बड़ी मुश्किल से पाता है
क्यों उसके बच्ची को
मोबाईल मिल जाता है
और
बच्चा उसका
मोटरसाईकिल चलाता है
पैट्रोल चोरने के लिये
फिर एक पाईप लगाता है
ये सब करना
भी सही चलो
पर इन सब
बातों से ही
एक बाप
अपनी बेटी
पहाड़ की
मुफ्त में
बिकवाता है
लड़की को एक
बरतन धोने
पे लगाता है
लड़की मेहनत से
परिवार चलाती है
मोबाईल के चक्कर
में बहन गवांती है
रोती जाती है लड़की
रोती जाती है।
बरतन धो के
परिवार चलाती है
गाँव के
उसी घर से
एक लड़की
एक लड़के
के साथ
भाग जाती है
खाने के
जुगाड़ में
बाप
हाड़ तोड़ता
चला जाता है
पता नहीं
बच्ची के हाथ में
मोबाइल
क्यों दे जाता है
पहाड़ के बच्चों में
एक नया खेल
चल रहा है
मोबाइल रखना
और
मोटरसाईकिल पे चलना
नये भारतीय मूल्यों की
रामायण रच रहा है
दो कदम
चल नहीं सकते
पहाड़ के नौनीहाल
जो कभी सेना में जाते थे
मेडिकल मे
अन्फिट हो रहे है
वो जो गुटका खाते थे
लड़के मोटरसाईकिल
लड़किया स्कूटी में ही जाते हैं
घर के नीचे से उसमें
वो सब्जी लाते हैं
दो किलोमीटर
की त्रिज्या के शहर मेंं
पचास चक्कर लगाते हैं
बरतन
धोने वाली लड़की
कल से काम पे
नहीं जाती है
बहन ढूढने को बेचारी
थाने के चक्कर लगाती है
गाँव गाँव में पहाड़ के
रोजगार नहीं मिल पाता है
पत्थर तोड़ने भी आदमी
पैदल दूर शहर में जाता है
खाने को रोटी तब भी
बड़ी मुश्किल से पाता है
क्यों उसके बच्ची को
मोबाईल मिल जाता है
और
बच्चा उसका
मोटरसाईकिल चलाता है
पैट्रोल चोरने के लिये
फिर एक पाईप लगाता है
ये सब करना
भी सही चलो
पर इन सब
बातों से ही
एक बाप
अपनी बेटी
पहाड़ की
मुफ्त में
बिकवाता है
लड़की को एक
बरतन धोने
पे लगाता है
लड़की मेहनत से
परिवार चलाती है
मोबाईल के चक्कर
में बहन गवांती है
रोती जाती है लड़की
रोती जाती है।