उलूक टाइम्स: रहस्यमयी
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मंगलवार, 5 दिसंबर 2017

कुछ भी उलझा हुआ नहीं है ना रहस्यमयी है यूँ ही बहका देते हैं लोगों को कुछ लोग

थोड़े से

कुछ
बेवकूफ भी
होते हैं

कुछ लोग

समझना
चाहिये

नहीं
समझे को

दूसरों के
समझने
के लिये

अगर
लिख कर
छोड़ भी
देते हैं
कुछ लोग

सबके घर
अलग अलग
होते हैं

रिवाज अलग
होते हैं

आदते अलग
होती हैं

सब को सब
दिखाई दे

जरूरी नहीं
होता है

चश्में अलग
अलग होते हैं

कुछ देखते हैं

अपने
हिसाब का
कुछ लोग

सब कुछ
देख कर भी

कुछ भी
नहीं देखते हैं
कुछ लोग

कुछ लोग
कुछ बच्चे से
भी होते हैं

कुछ सयाने
से भी होते हैं
कुछ लोग

जो होता है
आसपास

उसपर
गली के
कुत्ते भी

कान खड़े
कर के
भौंकते हैं

ये
सब कुछ भी
नहीं देखते हैं
कुछ लोग

कभी लौकी
लिखा दिखता है
कभी कद्दू
लिखा नजर
आता है
लिखने में
कुछ लोगों के

लिखने वाला
कभी सब्जी
बेचने के लिये
नहीं आता है

पता नहीं
इतनी सी बात

किस लिये
नहीं समझ
पाते हैं
कुछ लोग

शेरो शायरी करना

किस ने कह दिया
बुरी बात होती है

कुछ लोग
बुरी बात पर
बुरा मान कर
लिखते हैं

कुछ लोगों को
कभी बुरा
नहीं लगता है

ऐसा लगता है

हमेशा

अपने
हनुमान की
टाँग पर ही
कुछ लिखते हैं
कुछ लोग

कुछ
पढ़ देते हैं
कुछ भी

ऐसे भी होते हैं
कुछ लोग

पढ़ कर
पढ़े पर
फिर कुछ

अपनी बात
कुछ
लिख कर
कह देते हैं
कुछ लोग

लिख देता है
कुछ भी
‘उलूक’
कभी भी
आकर यहाँ

नमन है
उन सबको

अपने
सर पर
रख देते हैं
फिर भी

उस
कुछ भी को
हमेशा ही
कुछ लोग

सब समझ
आता है
लोगों के

कहाँ जायेगें
कहाँ पढ़ेंगे
कहाँ जा कर

कहेंगे कुछ
पढ़े पर
कुछ
पढ़े लिखे
कुछ लोग।

चित्र साभार : Quora