‘दुकान’ एक ‘दीवार’
जहाँ ‘दुकानदार’
सामान लटकाता है
दुकानों का बाजार
बाजार की दुकाने
जहाँ कुछ भी नहीं
खरीदा जाता है
हर दुकानदार
कुछ ना कुछ बेचना
जरूर चाहता है
कोई अपनी दुकान
सजा कर बैठ जाता है
बैठा ही रह जाता है
कोई अपनी दुकान
खुली छोड़ कर
किसी दूसरे की
दुकान के गिरते
शटर को पकड़ कर
दुकान को बन्द होने से
रोकने चले जाता है
किसी की
उड़ाई हवा को
एक दुकान एक
दुकानदार से लेकर
हजार दुकानदारों
द्वारा हजार दुकानों
में उड़ा कर
फिर जोर लगा कर
फूँका भी जाता है
‘बापू’
इतना सब कुछ
होने के बाद भी
अभी भी तेरा चेहरा
रुपिये में नजर आता है
चश्मा
साफ सफाई
का सन्देश
इधर से उधर
करने में काम में
लगाया जाता है
मूर्तियाँ पुरानी
बची हुई हैं तेरी
अभी तक
कहीं खड़ी की गयी
कहीं बैठाई गयी हुई
एक दिन साल में
उनको धोया पोछा
भी जाता है
छुट्टी अभी भी
दी जाती है स्कूलों में
झंडा रोहण तो
वैसे भी अब रोज
ही कराया जाता है
चश्मा धोती
लाठी चप्पल
सोच में आ जाये
किसी दिन कभी
इस छोटे से जीवन में
जिसे पता है ये मोक्ष
'वैष्ण्व जन तो तैने कहिये'
गाता है गुनगुनाता है
जन्मदिन पर
नमन ‘बापू’
‘महात्मा’ ‘राष्ट्रपिता’
खुशकिस्मत ‘उलूक’
का जन्म दिन भी
तेरे जन्मदिन के दिन
साथ में आ जाता है
'दो अक्टूबर'
विशेष हो जाता है ।
चित्र साभार: india.com
जहाँ ‘दुकानदार’
सामान लटकाता है
दुकानों का बाजार
बाजार की दुकाने
जहाँ कुछ भी नहीं
खरीदा जाता है
हर दुकानदार
कुछ ना कुछ बेचना
जरूर चाहता है
कोई अपनी दुकान
सजा कर बैठ जाता है
बैठा ही रह जाता है
कोई अपनी दुकान
खुली छोड़ कर
किसी दूसरे की
दुकान के गिरते
शटर को पकड़ कर
दुकान को बन्द होने से
रोकने चले जाता है
किसी की
उड़ाई हवा को
एक दुकान एक
दुकानदार से लेकर
हजार दुकानदारों
द्वारा हजार दुकानों
में उड़ा कर
फिर जोर लगा कर
फूँका भी जाता है
‘बापू’
इतना सब कुछ
होने के बाद भी
अभी भी तेरा चेहरा
रुपिये में नजर आता है
चश्मा
साफ सफाई
का सन्देश
इधर से उधर
करने में काम में
लगाया जाता है
मूर्तियाँ पुरानी
बची हुई हैं तेरी
अभी तक
कहीं खड़ी की गयी
कहीं बैठाई गयी हुई
एक दिन साल में
उनको धोया पोछा
भी जाता है
छुट्टी अभी भी
दी जाती है स्कूलों में
झंडा रोहण तो
वैसे भी अब रोज
ही कराया जाता है
चश्मा धोती
लाठी चप्पल
सोच में आ जाये
किसी दिन कभी
इस छोटे से जीवन में
जिसे पता है ये मोक्ष
'वैष्ण्व जन तो तैने कहिये'
गाता है गुनगुनाता है
जन्मदिन पर
नमन ‘बापू’
‘महात्मा’ ‘राष्ट्रपिता’
खुशकिस्मत ‘उलूक’
का जन्म दिन भी
तेरे जन्मदिन के दिन
साथ में आ जाता है
'दो अक्टूबर'
विशेष हो जाता है ।
चित्र साभार: india.com