क्या बुराई है
हो जाने में
हो जाने में
सोच का खुद की
एक वजूका
और
जा कर खड़े हो लेने में
कहीं भी किसी जगह
जरूरी नहीं
उस जगह का
एक खेत ही होना
उस जगह का
एक खेत ही होना
वजूके समझते हैं
वजूकों के तौर तरीके
वजूकों के तौर तरीके
लगता है
पता नहीं
गलत भी हो सकता है
वजूके
सोचते हैं करते हैं चलते हैं
सोचते हैं करते हैं चलते हैं
वजूकों के इशारों इशारों पर
कुछ वजूकी चालें
वजूकों के पास
शतरंज नहीं होता है
शतरंज नहीं होता है
सब सामान्य होता है
वजूके के लिये
वजूके के द्वारा
वजूके के द्वारा
वजूके के हित में
जो भी होता है
जो भी होता है
वजूकों में
सर्वमान्य होता है
सर्वमान्य होता है
वजूके
पेड़ नहीं होते हैं
पेड़ नहीं होते हैं
वजूकों का जंगल होना भी
जरूरी नहीं होता है
जरूरी नहीं होता है
वजूका
खेत में खड़ा कहीं
खेत में खड़ा कहीं
कहीं दूर से दिखाई देता है
जिस पर कोई भी ध्यान नहीं देता है
चिड़िया कौए
वजूकों पर
वजूकों पर
बैठ कर बीट करते हैं
वजूका कुछ नहीं कहता है
वजूका ही शायद
एक
इन्सान होता है
सब को
समझ में नहीं आती हैं
इंसानों की कही हुई बातें
समझ में नहीं आती हैं
इंसानों की कही हुई बातें
इंसानों के बीच में हमेशा
वजूके
कुछ नहीं कहते हैं
वजूके
वजूकों को समझते हैं
वजूकों को समझते हैं
बहुत अच्छी तरह से
लेकिन ये बात अलग है
वजूकों की
भीड़ नहीं होती है कहीं
भीड़ नहीं होती है कहीं
वजूके के बाद
मीलों की दूरी पर
कहीं किसी खेत में
कहीं किसी खेत में
एक और वजूका
अकेला खड़ा होता है
अकेला खड़ा होता है
‘उलूक’
तेरे करतबों से
दुनियाँ को क्या लेना देना
दुनियाँ को क्या लेना देना
हर किसी का
अपना एक वजूका
अपना एक वजूका
पूरे देश में एक ही होता है
लेकिन वजूका होता है।
चित्र साभार: Clipartix