उलूक टाइम्स: चिड़िया
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बुधवार, 25 मार्च 2020

उड़ नहीं रहा होता है उड़ाया जा रहा होता है पंछी नहीं हो रहा होता है एक ड्रोन हो रहा होता है



पंख
निकले होते
हौले हौले

फैल कर
ढक लेते
सब कुछ

आँचल
की तरह

उड़ने
के लिये
अनन्त
आकाश में

दूर दूर तक
फैले होते

झुंड नहीं होते

उड़ना होता
हल्के होकर

हवा की लहरों से
 बनते संगीत के साथ

कल्पनाएं होती
अल्पनाओं सी

रंग भरे होते
असीम
सम्भावनाएं होती

ऊँचाइयों
के
ऊपर कहीं

और
ऊँचाइयाँ होती

होड़
नहीं होती
दौड़
नहीं होती

स्वच्छंद होती
सोच
भी उड़ती
 

पंछी होकर
कलरव करती 


पंख लगाये
उड़ते तो हैं

ऊपर
भी होते हैं

पर
ज्यादा
दूर 

नहीं होते हैं

बस
घूम 

रहे होते हैं

धुरी
कहीं होती है

जैसे
जंजीर
बंधी होती है

आँखे
होती तो हैं

देख मगर
कोई और
रहा होता है
उनकी आँखों से

दूरबीन
हो गयी होती हैं

शोर
हो चुकी होती हैंं
 संगीत
नहीं होती हैं

बस
आवाजें
हो लेती हैं

 उड़ना
होता तो है

लेकिन
उड़ा
कोई और
रहा होता है

कहना
भी होता है

मुँह
बड़ा सा
एक मगर

दूर कहीं
से

कुछ कह
रहा होता है

देखता
सा लगता है

पर
देख

कोई और
रहा होता है

  समझा कर 

‘उलूक’ 

विज्ञान
के युग का

एक अनमोल
प्रयोग

हो
रहा होता है

उड़
एक भीड़
रही होती है

चिड़िया
होकर उड़ती
अच्छा होता

पर
हर कोई

किसी एक
का एक

ड्रोन
हो
रहा होता है

उड़ नहीं
रहा होता है

बस

उड़ाया
जा
रहा होता है । 

चित्र साभार: https://www.gograph.com/

गुरुवार, 10 नवंबर 2016

खुद की सोच ही एक वजूका हो जाये खेत के बीच खड़ा हुआ तो फिर किसी और को क्या समझ में आये एक वजूका सोच से बड़ा होता है


क्या बुराई है
हो जाने में 
सोच का खुद की 
एक वजूका 

और 
जा कर खड़े हो लेने में 
कहीं भी किसी जगह 

जरूरी नहीं
उस जगह का
एक खेत ही होना 

वजूके समझते हैं
वजूकों के तौर तरीके 

लगता है
पता नहीं 
गलत भी हो सकता है 

वजूके
सोचते हैं करते हैं चलते हैं 
वजूकों के इशारों इशारों पर 
कुछ वजूकी चालें 

वजूकों के पास
शतरंज नहीं होता है 
सब सामान्य होता है
वजूके के लिये
वजूके के द्वारा 
वजूके के हित में
जो भी होता है 
वजूकों में
सर्वमान्य होता है 

वजूके
पेड़ नहीं होते हैं 
वजूकों का जंगल होना भी
जरूरी नहीं होता है 

वजूका
खेत में खड़ा कहीं
कहीं दूर से दिखाई देता है 
जिस पर कोई भी ध्यान नहीं देता है 

चिड़िया कौए
वजूकों पर 
बैठ कर बीट करते हैं 
वजूका कुछ नहीं कहता है 

वजूका ही शायद
एक 
इन्सान होता है 

सब को
समझ में नहीं आती हैं
इंसानों की कही हुई बातें 
इंसानों के बीच में हमेशा

वजूके
कुछ नहीं कहते हैं 

वजूके
वजूकों को समझते हैं 
बहुत अच्छी तरह से 

लेकिन ये बात अलग है 
वजूकों की
भीड़ नहीं होती है कहीं 

वजूके के बाद 
मीलों की दूरी पर
कहीं किसी खेत में 
एक और वजूका
अकेला खड़ा होता है 

‘उलूक’ 
तेरे करतबों से
दुनियाँ को क्या लेना देना 

हर किसी का
अपना एक वजूका 
पूरे देश में एक ही होता है 
लेकिन वजूका होता है। 

चित्र साभार: Clipartix

रविवार, 4 मई 2014

बहुत पक्की वाली है और पक्का आ रही है

आसमान से
उतरी आज
फिर एक चिड़िया
चिड़िया से उतरी
एक सुंदर सी गुड़िया
पता चला बौलीवुड से
सीधे आ रही है
चुनाव के काम
में लगी हुई है
शूटिंग करने के लिये
इन दिनों और जगहों
पर आजकल नहीं
जा पा रही है
सर पर टोपियाँ
लगाये हुऐ एक भीड़
ऐसे समय के लिये
अलग तरीके की
बनाई जा रही है
जयजयकार करने
के लिये कार में
बैठ कर कार के
पीछे से सरकारी
नारे लगा रही है
जनता जो कल
उस तरफ गई थी
आज इसको देखने
के लिये भी
चली जा रही है
कैसे करे कोई
वोटों की गिनती
एक ही वोट
तीन चार जगहों
पर बार बार
गिनी जा रही है
टोपियाँ बदल रही है
परसों लाल थी
कल हरी हुई
आज के दिन सफेद
नजर आ रही है
लाठी लिये हुऐ
बुड़िया तीन दिन से
शहर के चक्कर
लगा रही है
परसों जलेबी थी हाथ में
कल आईसक्रीम दिखी
आज आटे की थैली
उठा कर रखवा रही है
काम पर नहीं
जा रहा है मजदूर
कई कई दिन से
दिखाई दे रहा है
शाम को गाँव को
वापस जाता हुआ
रोज नजर आ रहा है
बीमार हो क्या पता
शाम छोड़िये दिन में
भी टाँगे लड़खड़ा रही हैं
‘उलूक’ तुझे क्यों
लगाना है अपना
खाली दिमाग
ऐसी बातों में जो
किसी अखबार में
नहीं आ रही हैं
मस्त रहा कर
दो चार दिन की
बात ही तो है
उसके बाद सुना है
बहुत पक्की वाली
सरकार आ रही है ।

शुक्रवार, 11 अप्रैल 2014

तेरे लिये कुछ नहीं उसके लिये खुशी हो रही होती है

किसी को उड़ती
हुई चीज पसंद
नहीं होती है
उसकी सोच में
पतंगे दुकान या
गोदाम में पड़ी
होने तक ही
अच्छी होती हैं
चिड़िया कौऐ हों
तब तक ही
अच्छे लगते हैं
जब तक घोंसलों से
झाँकते रहते हैं और
उड़ने की कोशिश
करने में जमीन पर
गिर रहे होते हैं
तितली के होने से
जिसे कोई परेशानी
कभी नहीं होती है
जब तक लारवा
बनी हुई मिट्टी में
सरकती है या
पड़ी रहती है
पर निकलते ही
पर जला कर
एक जले हुऐ दिये
के तेल में डूबती
फड़फड़ा रही होती है
मतलब समझ
उलूक
जिंदा होना भी कोई
जिंदगी होती है
लाश होती है
तभी तो पानी में
तैर रही होती है
एक कटी पतंग
बहुत खूबसूरत
हो रही होती है
बस आकाश से
जब जमीन की
ओर गिर रही होती है
चिड़िया चिड़िया
होती तो है जब
बाज के पंजे में
फँस रही होती है
उसकी खुशी
उसके अंदर
ऐसे में हमेशा
बहुत खुश हो
रही होती है
कहीं से नहीं
झाँकती झलकती है
बस तरंगे निकल
कर चारों और
बह रही होती है
किसी के उड़ने की
एक कोशिश ही
उसकी मायूसी का
सबब हो रही होती है
एक चीज तब तक
उसके लिये कुछ
हो रही होती है
जब तक जमीन
पर घिसट कर
चल रही होती है
परेशानी बस
उसे उसी समय
हो रही होती है
जिस समय
उड़ने की कहीं
एक कोशिश
हो रही होती है । 

बुधवार, 4 जनवरी 2012

दिल बहलाने

मधुमक्खी हर रोज
की तरह है भिनभिनाती
फूलों पर है मडराती
एक रास्ता है बनाती
बता के है रोज जाती
मौसम बहुत है सुहाना
इसी तरह उसको है गाना
भंवरा भी है आता
थोड़ा है डराता
उस डर में भी तो
आनन्द ही है आता
चिड़िया भी कुछ
नया नहीं करती
दाना चोंच में है भरती
खाती बहुत है कम
बच्चों को है खिलाती
रोज यही करने ही
वो सुबह से शाम
आंगन में चली है आती
सबको पता है रहता
इन सब के दिल में
पल पल में जो है बहता
हजारों रोज है यहाँ आते
कुछ बातें हैं बनाते
कुछ बनी बनाई
है चिपकाते
सफेद कागज पर
बना के कुछ
आड़ी तिरछी रेखाऎं
अपने अपने दिल
के मौसम का
हाल हैं दिखाते
किसी को किसी
के अन्दर का फिर भी
पता नहीं है चलता
मधुमक्खी भंवरे
चिड़िया की तरह
कोई नहीं यहां
है निकलता
रोज हर रोज है
मौसम बदलता
कब दिखें बादल और
सूखा पड़ जाये
कब चले बयार
और तूफाँ आ जाये
किसी को भी कोई
आभास नहीं होता
चले आते हैं फिर भी
मौसम का पता
कुछ यूँ ही लगाने
अपना अपना दिल
कुछ यूँ ही बहलाने ।