क्या होता है
अगर एक
कुछ भी
कभी भी
नहीं बोलता है
क्या होता है
अगर एक
हमेशा ही
कुछ ना कुछ
बोलता है
सालों गुजर
जातें हैं
खामोशी में
एक के कई
बस सन्नाटा
ही सन्नाटा
होता है
हर तरफ
कोई इधर
डोलता है
और
कोई उधर
डोलता है
बोलने वाला
बोलना शुरु
होता है
ये भी
बोलता है
और
वो भी
बोलता है
कुछ भी नहीं
कह पाने से
कुछ भी
कभी भी
कहीं भी
कह ले जाने
के बीच में
बहुत कुछ
होता है
जो अँधों की
आँखें खोलता है
बहरे
वैसे ही
हमेशा खुश
रहते है
अपने आप में
कोई बोलता है
या
नहीं बोलता है
लूला खुद ही
बोलना चाहता
है हमेशा
कुछ ना कुछ
ऊपर वाला
बेचारों का मुँह
ही नहीं खोलता है
दुनियाँ के दस्तूर
यही हैं ‘उलूक’
तुझे क्या करना
इस सब से जब
ये भी तुझे
‘उलूक’
और
वो भी तुझे
‘उलूक’
बोलता है ।
चित्र साभार : http://www.shutterstock.com/
अगर एक
कुछ भी
कभी भी
नहीं बोलता है
क्या होता है
अगर एक
हमेशा ही
कुछ ना कुछ
बोलता है
सालों गुजर
जातें हैं
खामोशी में
एक के कई
बस सन्नाटा
ही सन्नाटा
होता है
हर तरफ
कोई इधर
डोलता है
और
कोई उधर
डोलता है
बोलने वाला
बोलना शुरु
होता है
ये भी
बोलता है
और
वो भी
बोलता है
कुछ भी नहीं
कह पाने से
कुछ भी
कभी भी
कहीं भी
कह ले जाने
के बीच में
बहुत कुछ
होता है
जो अँधों की
आँखें खोलता है
बहरे
वैसे ही
हमेशा खुश
रहते है
अपने आप में
कोई बोलता है
या
नहीं बोलता है
लूला खुद ही
बोलना चाहता
है हमेशा
कुछ ना कुछ
ऊपर वाला
बेचारों का मुँह
ही नहीं खोलता है
दुनियाँ के दस्तूर
यही हैं ‘उलूक’
तुझे क्या करना
इस सब से जब
ये भी तुझे
‘उलूक’
और
वो भी तुझे
‘उलूक’
बोलता है ।
चित्र साभार : http://www.shutterstock.com/