उलूक टाइम्स: बोलना
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रविवार, 4 अगस्त 2019

किसलिये खुद सोचना फिर बोलना भी खुद ही हमारे होने के डर का अहसास किसी दिन तेरे चेहरे पर भी दिखेगा



मत सोच 

हम
हैं ना 
सोचने के लिये

मत बोल

हम
बोल तो रहे हैं

मत देख

दिख रहा है
की
गलतफहमी
मत पाल

हम
देख रहे हैं
बता देंगे
खुद देख कर

क्या करेगा
वैसे भी

खुद
सोच लेना

पाप हो चुका है

देखना
और
दिख रहा है
मान लेना

उससे बड़ा
पाप बन गया है

बोलना
सोच कर
दिख रहे के
ऊपर कुछ

महापाप है

बल्कि
सबसे बड़ा
साँप कहिये

या
समझ लीजिये

खुद को
खुद दिया गया
एक श्राप है

मान लिया
देख भी लिया
तूने
सब कुछ
या
थोड़ा कुछ भी

और
सोच भी लिया
चल

लगा कर
कुछ
अपना दिमाग ही

कोई बात नहीं

बोलना

शुरु
मत कर देना

कर भी देगा

तो भी
क्या होना

हम हैं ना
बोये हुऐ
उसके

उगे हुऐ उसके लिये

घेर लेंगे

जबान
खुलते ही तेरी

बेकार
में ही
हतोत्साहित
करना पड़ेगा

हम
एक नहीं उगे हैं

भीड़
हो चुके हैं

बच नहीं सकेगा

बोलने से
पहले
गिर पड़ेगा
अपनी ही नजर में

समझदारी कर

मान ले

कुछ नहीं
दिख रहा है

मान ले

कुछ नहीं
सुन रहा है

मान ले

सोच में
कीड़ा
लग चुका है

हम हैं ना

बता
तो रहे हैं
क्या देखना है

हम हैं ना

समझा
तो रहे हैं
क्या सोचना है

पूछ लेगा

बोलने
से पहले
अगर
‘उलूक’

लिखने लिखाने
पर
ईनाम भी
भारी मिलेगा

उस की
जय जय
हमारी भी
जय जय
के साथ

तेरी
किस्मत का
नया एक अध्याय
शुरु होगा

चैन से
जीने
 दिया जायेगा

भीड़ के
चेहरे में
तेरा चेहरा
मिलमिला कर

एक
 इतिहास 
नया

गुलामों
की मुक्ति का

फिर से

हमारा
जैसा
कोई एक

भीड़
में से
ही लिखेगा।

चित्र साभार:
http://www.picturesof.net


गुरुवार, 4 सितंबर 2014

कम बोला से बड़ बोला तक बम बोला हमेशा बम बम बोलता है

क्या होता है
अगर एक
कुछ भी
कभी भी
नहीं बोलता है

क्या होता है
अगर एक
हमेशा ही
कुछ ना कुछ
बोलता है

सालों गुजर
जातें हैं
खामोशी में
एक के कई

बस सन्नाटा
ही सन्नाटा
होता है
हर तरफ

कोई इधर
डोलता है
और
कोई उधर
डोलता है

बोलने वाला
बोलना शुरु
होता है

ये भी
बोलता है
और
वो भी
बोलता है

कुछ भी नहीं
कह पाने से
कुछ भी
कभी भी
कहीं भी
कह ले जाने
के बीच में

बहुत कुछ
होता है
जो अँधों की
आँखें खोलता है

बहरे
वैसे ही
हमेशा खुश
रहते है

अपने आप में
कोई बोलता है
या
नहीं बोलता है

लूला खुद ही
बोलना चाहता
है हमेशा
कुछ ना कुछ

ऊपर वाला
बेचारों का मुँह
ही नहीं खोलता है

दुनियाँ के दस्तूर
यही हैं ‘उलूक’

तुझे क्या करना
इस सब से जब

ये भी तुझे
‘उलूक’
और
वो भी तुझे
‘उलूक’
बोलता है ।

चित्र साभार : http://www.shutterstock.com/