प्रतीक्षा में हूँ
उन सर्द
हवाओं की
जो मेरी
अन्तरज्वाला
को शांत करें ।
प्रतीक्षा में हूँ
उन गरम
फिजाओं की
जो मेरे
ठंडेपन को
कुछ गरम करें ।
सदियों से
मेरी गर्मी
मेरी सर्दी
से राजनीति
कर रही है ।
सर्द हवाऎं
मेरी सर्दी
को अपना
लेती हैं ।
गरम फिजाऎं
मेरी ज्वाला
को उतप्त
बना देती हैं
आज भी मैं
वहीं हूँ
जहाँ मैं
जल रहा था ।
आज भी मैं
वहीं हूँ
जहाँ मैं
जम रहा था ।
अब
पचास वर्षों
के बाद
मुझे इंतजार है
न सर्द
हवाओं का ।
न इंतजार है
गरम
फिजाओं का ।
शायद यही
रास्ता है
कभी
मेरी गर्मी
मेरी सर्दी
से मिले
और
यूं ही
भटकते हुवे
मुझे स्थिरता
मिले ।
उन सर्द
हवाओं की
जो मेरी
अन्तरज्वाला
को शांत करें ।
प्रतीक्षा में हूँ
उन गरम
फिजाओं की
जो मेरे
ठंडेपन को
कुछ गरम करें ।
सदियों से
मेरी गर्मी
मेरी सर्दी
से राजनीति
कर रही है ।
सर्द हवाऎं
मेरी सर्दी
को अपना
लेती हैं ।
गरम फिजाऎं
मेरी ज्वाला
को उतप्त
बना देती हैं
आज भी मैं
वहीं हूँ
जहाँ मैं
जल रहा था ।
आज भी मैं
वहीं हूँ
जहाँ मैं
जम रहा था ।
अब
पचास वर्षों
के बाद
मुझे इंतजार है
न सर्द
हवाओं का ।
न इंतजार है
गरम
फिजाओं का ।
शायद यही
रास्ता है
कभी
मेरी गर्मी
मेरी सर्दी
से मिले
और
यूं ही
भटकते हुवे
मुझे स्थिरता
मिले ।